ऋषि गर्ग श्री कृष्ण नामकरण करते हैं। नामकरण संस्कार की बाद जब कंस को पता चलता है की नंदराय ने अपने पुत्र का नाम कृष्ण रख दिया है तो वह अपने गुप्तचरों से ये पूछता है की कृष्ण का नामकरण किसने किया गुरु शांडिल्य ने या फिर ऋषि गर्ग ने जिसके बारे में गुप्तचरों को कुछ पता नहीं होता है।
धारावाहिक : | श्रीकृष्ण रामानंद सागर कृत |
कहानी : | श्री कृष्ण नामकरण – Shree Krishna Ramanand sagar |
संगीत : | रवींद्र जैन |
निर्देशक | रामानंद सागर |
शैली | पौराणिक कथा |
मूल प्रसारण | 18 जुलाई 1993 – 5 अक्टूबर 1997 |
मूल चैनल : | दूरदर्शन |
छायांकन : | अजित नाइक |
निर्माता : | रामानंद सागर, आनंद सागर, मोती सागर |
संपादक : | सुभाष सहगल |
मूल भाषा : | हिंदी (Hindi) |
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श्री कृष्ण नामकरण – Shree Krishna Ramanand sagar
कंस के सलाहकार तर्क वितरक करते हुए शंका जताते हैं की श्री कृष्ण किसका पुत्र है नंद का या वासुदेव का। चाणुर वासुदेव से इस बारे में सवाल करने के लिए बुलाने की बात कंस से कहता है। कंस अपने सेनिको को वासुदेव को लेने के लिए भेजता है।
लेकिन वासुदेव उस वक्त ऋषि गर्ग के आश्रम में उनसे अपने पुत्र के बारे में जानने के लिए गए हुए थे। ऋषि शांडिल्य वासुदेव को बताते हैं की देवकी का आठवाँ पुत्र कृष्ण ही हैं क्योंकि जब वासुदेव श्री कृष्ण के जनम के बाद भगवती योग माया की प्रेरणा से कृष्ण को नंदराय की पुत्री से बदल कर ले आए थे जिसके बारे में उन्हें कुछ भी बात याद नहीं थी।
वासुदेव इस याद को वापस स्मृति में डालने के लिए रिशि शांडिल्य से विनीति करते हैं, जिस पर रिशि शांडिल्य उनकी उस वक्त की स्मृति वापस उन्हें दे देते हैं वासुदेव इन सब बातों को याद करके बहुत सुकून पाते हैं। जब वासुदेव वापस अपने महल लौटते हैं तो उन्हें कंस के सैनिक कंस के पास ले जाते हैं।
श्री कृष्ण लीला | श्री कृष्णा नामकर्ण
श्री कृष्ण नामकरण : YouTube Video
- निर्माता और निर्देशक – रामानंद सागर
- सहयोगी निर्देशक – आनंद सागर, मोती सागर
- कार्यकारी निर्माता – सुभाष सागर, प्रेम सागर
- मुख्य तकनीकी सलाहकार – ज्योति सागर
- पटकथा और संवाद – रामानंद सागर
- संगीत – रविंद्र जैन
- शीर्षक गीत – जयदेव
- अनुसंधान और अनुकूलन – फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
- संपादक – सुभाष सहगल
- कैमरामैन – अजीत नाइक
- प्रकाश – राम मडिक्कर
- साउंड रिकॉर्डिस्ट – श्रीपाद, ई रुद्र
- वीडियो रिकॉर्डिस्ट – शरद मुक्न्नवार
अंतिम बात :
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