नरेंद्र मोदी सरकार का फैसला, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म, जानें अब आगे क्या होगा
जम्मू-कश्मीर में तनावपूर्ण हालात के बीच एक बार फिर से संविधान के आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35A को लेकर बहस शुरू हो गई है. ये आर्टिकल जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है. वहीं सरकार ने कश्मीर से आर्टिकल 35A और 370 को हटाने का ऐलान किया है |
क्या है आर्टिकल 370?
भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरी सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक संबंध को लेकर बातचीत की. इस मीटिंग के नतीजे में बाद में संविधान के अंदर आर्टिकल 370 को जोड़ा गया. आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है. इस आर्टिकल के मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है. इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए.1956 में जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान बना.
क्या है आर्टिकल 35A?
35A भारतीय संविधान का वह अनुच्छेद है जिसमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा को लेकर विशेष प्रवधान है. यह अनुच्छेद राज्य को यह तय करने की शक्ति देता है कि वहां का स्थाई नागरिक कौन है? वैसे 1956 में बने जम्मू-कश्मीर के संविधान में स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया था. यह आर्टिकल जम्मू-कश्मीर में ऐसे लोगों को कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने या उसका मालिक बनने से रोकता है, जो वहां के स्थायी नागरिक नहीं हैं.
हाइलाइट्स
- जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म, केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला किया
- गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया
- केंद्र सरकार के इस फैसले का राज्यसभा में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया
- शाह ने कहा कि वह इस मुद्दे पर विपक्ष के सभी सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हैं, विपक्ष को इस प्रस्ताव पास करने में मदद करनी चाहिए
370 खत्म होने से होगा ये परिवर्तन
- अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन लेकर वहा रह सकेंगे।
- कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं होगा। इसका मतलब वहां भी अब तिरंगा शान से लहराएगा।
- अनुच्छेद-370 के साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है। अब वहां भी भारत का संविधान लागू होगा।
- जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो जाएगी।
- जम्मू-कश्मीर के दो टुकड़े कर दिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे।
- अब अनुच्छेद-370 का खंड-1 केवल लागू रहेगा। शेष खंड समाप्त कर दिए गए हैं। खंड-1 भी राष्ट्रपति द्वारा लागू किया गया था। लिहाजा राष्ट्रपति द्वारा इसे भी कभी भी हटाया जा सकता है। ये खंड राष्ट्रपति को जम्मू-कश्मीर के बंटवारे का अधिकार प्रदान करता है।
- जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। मतलब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार बनेगी, लेकिन लद्दाख की कोई स्थानीय सरकार नहीं होगी।
- जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को अब दूसरे राज्य के लोगों से भी शादी करने की स्वतंत्रता होगी। दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने पर उनकी नागरिकता खत्म नहीं होगी।
- अनुच्छेद-370 में पहले भी कई बदलाव हुए हैं। 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।
- अनुच्छेद-370 को खत्म करने की मंजूरी राष्ट्रपति ने पहले ही दे दी थी। दरअसल ये अनुच्छेद पूर्व में राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया गया था। इसलिए इसे खत्म करने के लिए संसद से पारित कराने की आवश्यकता नहीं थी।
मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. उसने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐलान किया है. इस फैसले की जानकारी गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दी है. इस फैसले का मतलब है कि अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म हो जाएंगे. यानी जम्मू-कश्मीर भी भारत के अन्य राज्यों की तरह एक सामान्य राज्य होगा
जम्मू- कश्मीर 20 जिले
अनंतनाग, बांदीपोरा, बारामूला, बड़गाम, डोडा, गांदरबल, जम्मू, कठुआ, किश्तवाड़, कुलगाम, पुंछ, कुपवाड़ा, पुलवामा, रामबन, रसाई, राजौरी, सांबा, शोपियां, श्रीनगर, उधमपुर
लद्दाख (2 जिले)
लेह और करगिल