श्रीमद भगवद गीता : हिन्दुओं के पवित्रतम ग्रन्थों में से एक है। महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने गीता का सन्देश अर्जुन को सुनाया था। यह महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत दिया गया एक उपनिषद् है। गीता में १८ अध्याय और ७०० श्लोक हैं। उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं।
श्रीमद भगवद गीता श्लोक : | ७०० |
शैली : | आध्यात्मिक कहानी |
मूल भाषा : | संस्कृत |
श्रीमद भगवद गीता अध्याय : | १८ |
लेखक : | वेदव्यास |
Table of Contents
श्रीमद भगवद गीता – Shrimad Bhagavad Gita in Hindi
श्रीमद्भगवद् गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्ध है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं में उलझकर निरास हो जाता है और जीवन की समस्यायों से लड़ने की वजाय उससे भागने का मन बना लेता है उसी प्रकार अर्जुन जो महाभारत के महानायक थे, अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गए थे,
अर्जुन की तरह ही हम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति में या तो हताश हो जाते हैं और या फिर अपनी समस्याओं से विचलित होकर भाग खड़े होते हैं।
भारत वर्ष के ऋषियों ने गहन विचार के पश्चात जिस ज्ञान को आत्मसात किया उसे उन्होंने वेदों का नाम दिया। इन्हीं वेदों का अंतिम भाग उपनिषद कहा जाता है। गीता ज्ञान से मनुष्य के सारे मोह नष्ट हो जाते हे और आत्म ज्ञान से मृत्यु का भय भी नष्ट हो जाता हे
विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल है। श्रीमद्भगवद् गीता न केवल पड़े अपितु अपने जीवन में अमल करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जायेंगे
No. | Name of Chapter | Verses |
1 | Arjuna Vishada Yoga | 47 |
2 | Sankhya Yoga | 72 |
3 | Karma Yoga | 43 |
4 | Gyana-Karma-Sanyasa Yoga | 42 |
5 | Karma-Sanyasa Yoga | 29 |
6 | Atma-Samyama Yoga | 47 |
7 | Gyana-Vigyana Yoga | 30 |
8 | Aksara Brahma Yoga | 28 |
9 | Raja-Vidya-Raja-Guhya Yoga | 34 |
10 | Vibhuti Yoga | 42 |
11 | Vishwarupa-Darsana Yoga | 55 |
12 | Bhakti Yoga | 20 |
13 | Ksetra-Ksetrajna-Vibhaga Yoga | 34 |
14 | Gunatraya-Vibhaga Yoga | 27 |
15 | Purushottama Yoga | 20 |
16 | Daivasura-Sampad-Vibhaga Yoga | 24 |
17 | Shraddhatraya-Vibhaga Yoga | 28 |
18 | Moksha-Sanyasa Yoga | 78 |
Total | 700 |
श्रीमद भगवद गीता अध्याय – Shrimad Bhagwat Geeta Adhyay
- अर्जुनविषादयोग ~ अध्याय एक
- सांख्ययोग ~ अध्याय दो
- कर्मयोग ~ अध्याय तीन
- ज्ञानकर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय चार
- कर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय पाँच
- आत्मसंयमयोग ~ छठा अध्याय
- ज्ञानविज्ञानयोग- सातवाँ अध्याय
- अक्षरब्रह्मयोग- आठवाँ अध्याय
- राजविद्याराजगुह्ययोग- नौवाँ अध्याय
- विभूतियोग- दसवाँ अध्याय
- विश्वरूपदर्शनयोग- ग्यारहवाँ अध्याय
- भक्तियोग- बारहवाँ अध्याय
- क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग- तेरहवाँ अध्याय
- गुणत्रयविभागयोग- चौदहवाँ अध्याय
- पुरुषोत्तमयोग- पंद्रहवाँ अध्याय
- दैवासुरसम्पद्विभागयोग- सोलहवाँ अध्याय
- श्रद्धात्रयविभागयोग- सत्रहवाँ अध्याय
- मोक्षसंन्यासयोग- अठारहवाँ अध्याय
अंतिम बात :
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