हिन्दू धर्म की महानता : हिन्दू धर्म ही एकमात्र श्रेष्ट वैज्ञानिक धर्म है ऐसा नहीं संसार में सनातन विचारधारा के साथ साथ या उससे पहले अथवा बाद में अनेको ऐसी धार्मिक मान्यताएं रही हैं जो विज्ञान से सीधी सीधी जुडी थी
कहानी : | हिन्दू धर्म की महानता |
शैली : | आध्यात्मिक कहानी |
सूत्र : | पुराण |
मूल भाषा : | हिंदी |
अबतक हुए शोधों के अनुसार हिन्दू धर्म, सनातन धर्म या वैदिक धर्म विश्व के सभी बड़े धर्मों में सबसे प्राचीन है। हिन्दू धर्म मूलत: वेदों पर आधारित है, जो अपने भीतर विभिन्न उपासना पद्धतियों, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए है।
एक हिंदू पूरे ब्रह्मांड को भगवान के रूप में देखता है और ब्रह्मांड में सब कुछ भगवान के रूप में देखता है।
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सनातन धर्म की वैज्ञानिक्ता – हिन्दू धर्म की महानता और उसकी वैज्ञानिकता
हिन्दू धर्म के लोग जब एक दूसरे को हाथ जोड़कर नमस्ते करते थे तब दुनिया उन पर हंसती थीनम: का एक और अर्थ हो सकता है जो है ‘न + में’ यानी कि मेरा नहीं…सब कुछ आपका। आध्यात्म की दृष्टि से मनुष्य दूसरे के सामने अपने अंहकार को कम कर रहा है।
- हिन्दू धर्म के लोग जब जानवरों की पूजा करते थे तब दुनिया उन पर हंसती थी
- हिन्दू धर्म के लोग जब पेड़ो पोधो और जंगलो की पूजा करते थे तब दुनिया उन पर हंसती थी
- हिन्दू धर्म के लोग जब भोजन में शाकाहार चीज़े लेते थे तब दुनिया हंसती थी
- हिन्दू धर्म के लोग जब योग प्राणायाम करते थे तब भी दुनिया उन पर हंसती थी
- हिन्दू धर्म के लोग जब अपने घर जाने सेपेहले अपने हाथ मुँह और पेरो को धोते थे तब दुनिया उन हंसती थी
- हिन्दू धर्म के लोग जब श्मशान और हस्पताल से आकर स्नान करते थे तब भी दुनिया उनपर हंसती थीऔर जब हिन्दू धर्म के लोग देवी देवताओ की पूजा करते थे तबभी दुनिया उन पर हस्ती थीलेकिन अब कोई नहीं हंस रहा हे बल्कि सब यही अपना रहे हे
- सच ही कहा गया हे हिन्दू धर्म ही नहीं अपितु ये जीवन जीने की कला सिखाता हेलेकिन कईलोग ये बात आज भी नहीं मान रहे हे कुछ लोग आज भी पश्चिमी सभ्यता अपना रहे हेअगर दुनिया हिन्दू पद्धति के खिलाफ जाएगी तो प्रकृति तबाही मचाएगीजितनी गहराई में जाओगे उतनी ही गहराई बढ़ती जाएगी जिसका कोई अंत नहीं
जीवन के 4 पुरुषार्थ हैं :
- धर्म,
- अर्थ,
- काम और
- मोक्ष।
हर व्यक्ति के जीवन का मुख्य लक्ष्य मोक्ष होना चाहिए। मोक्ष पाने के लिए इस चारों पुरुषार्थों की चारों आश्रमों में जरूरत होती है। जो व्यक्ति को ब्रह्मचर्य आश्रम में रहते हुए चारों पुरुषार्थों का ज्ञान प्राप्त कर लेता है वह सही मार्ग पर आ जाता है।
हिन्दू धर्म में कर्तव्य पालन
- प्रातः वंदना और संध्यावंदन (वैदिक प्रार्थना और ध्यान),
- तीर्थ (चारधाम – बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम ),
- दान (अन्न, वस्त्र और धन),
- व्रत (श्रावण मास, एकादशी आदि ),
- पर्व (शिवरात्रि, नवरात्रि, मकर संक्रांति, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी ),
- संस्कार (सोलह संस्कार),
- पंच यज्ञ (ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ,बलिवैश्व देव यज्ञ और अतिथि यज्ञ),
- देश-धर्म सेवा,
- वेद और गीता पाठ ( ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद)
- ईश्वर प्राणिधान (परमात्मा के प्रति समर्पण)।
हिन्दू धर्म में बताये इन प्रमुख कर्तव्यों का पालन करके मनुष्य सुखी जीवन बना सकता हे
दोस्तों अंत में बस इतना ही कहेंगे की हिंदू एक धर्म नही या कोइ भी जात नही,
ये तो संकृती है जो सभी मानवजात के भलाइ के लीए है
अंतिम बात :
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