Jay Ganga Maiya story in hindi | माता गंगा की कहानी

1562
Jay Ganga Maiya story in hindi

Jay Ganga Maiya Story : महाभारत में ऐसी कई कहानियां हैं जो काफी रहस्यमय लगती है. हर योद्धा का जीवन पुर्नजन्म या किसी श्राप से प्रभावित था. ऐसी ही एक कहानी है महाभारत के प्रारंभ की जिसमें देवी गंगा और शांतनु के प्रेम प्रसंग का उल्लेख किया गया है| माता गंगा की कहानी के अनुसार भीष्म पितामह का संपूर्ण जीवन श्रापित था.

कहानी :माता गंगा की कहानी
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी

देवी गंगा ने अपने 7 पुत्रों को जन्म लेते ही जीवित ही नदी में बहा दिया था. इसके पीछे एक ऐसी कहानी है जिसे बहुत कम लोग जानते हैं.

Jay Ganga Maiya story in hindi – माता गंगा की कहानी

गंगा हस्तिनापुर के महाराज शांतनु की पत्नी थीं। महाभारत (Mahabharat) में दोनों के प्रेम प्रसंग का उल्लेख मिलता है। भीष्म इन दोनों की आठवीं संतान थे जिनका नाम देवव्रत था। कहा जाता है कि माता गंगा ने अपनी बाकी 7 संतानों को जीवित ही नदी में प्रवाहित कर दिया था|

पौराणिक कथाओं अनुसार एक बार पृथु पुत्र जिन्हें वसु कहा जाता था वो अपनी पत्नियों के साथ मेरु पर्वत पर घूम रहे थे। जहां वशिष्ठ ऋषि का आश्रम था। वहीं नंदिनी नाम की गाय थी। घो वसु ने अन्य सभी वसुओं के साथ मिलकर उस गाय का हरण कर लिया। जिस पर महर्षि वशिष्ठ काफी क्रोधित हुए उन्होंने सभी वसुओं को मानव योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया।

पितामह भीष्म और माता गंगा की कहानी

वसुओं ने तुरंत अपने पाप की क्षमा मांग ली जिस पर ऋषि ने कहा कि तुम सभी वसुओं को तो शीघ्र ही मनुष्य योनि से मुक्ति मिल जायेगी लेकिन घौ नामक वसु को पृथ्वीलोक पर लंबे समय तक रहकर अरने कर्म भोगने होंगे। ऋषि द्वारा दिये गये श्राप की बात वसुओं ने देवी गंगा को बताई जिस पर गंगा ने कहा कि मैं तुम सभी को अपने गर्भ में धारण करूंगी और तुरंत ही मनुष्य योनि से मुक्त भी कर दूंगी।

गंगा ने अपने पति शांतनु के सामने शर्त रखी थी कि अगर जीवन में राजा शांतनु ने उन्हें किसी भी काम में टोका तो वह तुरंत उन्हें छोड़ देंगी। 7 पुत्रों को बहा देने के बाद शांतनु ने अपने आठवें पुत्र को बहाने से गंगा को रोक लिया।

मां के अभाव में शिशु जीवित नहीं रह पाएगा। इसे आपके वंश के अनुसार योग्य बनाकर आपको वापस लौटाउंगी। ऐसा वचन देकर मां गंगा नवजात शिशु को लेकर अपने लोक चली गईं। आगे चलकर यही शिशु पितामह भीष्म बना,भीषण प्रतिज्ञा लेने के कारण इन्हें भीष्म कहा गया। महर्षि वसिष्ठ के श्राप के कारण उन्हें आजीवन ब्रह्मचारी रहना पड़ा।जिन्हें कभी कोई सांसारिक सुख प्राप्त नहीं हुआ, बल्कि हर कदम पर दुख ही दुख झेलकर वे कठिन मृत्यु को प्राप्त हुए।

Jay Ganga Maiya story YouTube Video

अंतिम बात :

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “Jay Ganga Maiya story in hindi” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | हमने  पूरी कोशिष की हे आपको सही जानकारी मिल सके| आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | 

हमे उम्मीद हे की आपको यह माता गंगा की कहानी आर्टिक्ल पसंद आया होगा | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है | ऐसी ही कहानी के बारेमे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे धन्यवाद ! 🙏