Watch Krishna Sudama episode Online | श्री कृष्ण सुदामा कहानी एपिसोड

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श्री कृष्ण सुदामा कहानी - Krishna Sudama Episode

Watch Krishna Sudama episode online by Ramanand Sagar series released on 8 July 1993 – 5 October 1997

श्री कृष्ण सुदामा कहानी : कृष्ण-सुदामा की मित्रता बहुत प्रचलित है। सुदामा गरीब ब्राह्मण थे। सच्चे प्रेम में ऊँच या नीच की भावना नहीं देखी जाती इसीलिए आज इतने युगों के बाद भी श्री कृष्ण सुदामा की दोस्ती को सच्चे मित्र के प्रतीक में याद की जाती हे

जब वन में संदीपन नाम का ऋषि अपने आश्रम में शिषयो को शिक्षा दिया करते थे। उसके आश्रम में कृष्ण और सुदामा भी शिक्षा पा रहे थे।

श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 01श्री कृष्ण के परम भक्त सुदामा की कथा
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 02सुदामा और श्री कृष्ण की मित्रता
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 03सुदामा और चक्रधर पहुँचे राजा के दरबार
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 04सुदामा चला श्री कृष्ण से मिलने
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 05सुदामा के लिए श्री कृष्ण बने मुरली मनोहर
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 06श्री कृष्ण ने की सुदामा की सेवा
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 07सुदामा पहुँच श्री कृष्ण की द्वारिका
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 08श्री कृष्ण सदमा मिलन
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 09श्री कृष्ण ने खाए सुदामा के कनदमूल
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 10वसुंधरा को मिला लक्ष्मी माता का वरदान
श्रीकृष्ण सुदामा कहानी भाग 11सुदामा की अपने गाँव में वापसी

श्री कृष्ण सुदामा की मित्रता – श्री कृष्ण सुदामा कहानी

एक दिन की बात है। आकाश में काले – काले बादल घिर आए तो गुरू जी ने क्रषण और सुदामा को लकडी लाने जंगल भेजता है। गुरू जी की पत्नी ने सुदामा को खाने के लिए कुछ चबैना देती है । दोनो लकडी लाने जंगल गए ।बहुत डुडने पर एक व्रक्ष की सुखी डाली मिला। क्रष्ण ने सुदामा से कहा कि मैं पेङ पर चढकर सूखी लकङी काट कर नीचे गिराता हूँ।

तुम उसे एकत्रित यानि करना। क्रष्ण जी पेङ पर चढकर लकङियाँ काटकर गिराने लगा। सुदामा बीच-बीच में चबैना खाते रहता। क्रष्ण जी ने सुदामा से पूछा तुम क्य़ा खाते हो ।सुदामा ने कहा- जाङे (ठंड) का मौसम के कारण हमारा दाँत खटखटा रहा है। इस पर क्रष्ण ने कुछ नहीं कहा।

दोनो ने लकडियाँ का गट्ठर लाकर आश्रम में रख दिये। क्रष्ण और सुदामा की दोस्ती आश्रम से ही आरंभ हुआ था। दोनो की शिक्षा पुरी होने पर श्री क्रष्रण दवारका के राजा बने और सुदामा गरीब ब्राह्मण के रूप अपना जीवन यापन करने लगे।

वह और उसका परिवार अत्यंत गरीबी तथा दुर्दशा का जीवन व्यतीत कररहा था। कई-कई दिनों तक उसे बहुत थोड़ा खाकर ही गुजारा करना पड़ता था। कई बार तो उसे भूखे पेट भी सोना पड़ता था।

जब अपार गरीबी से तंग हो गया तो पत्नी के कहने पर सुदामा द्वारकाधीश यानि अपने बचपन का परम मित्र श्री कृष्ण के पास पत्नी के दिए हुए उपहार तंडुल यानि चावल को काँख यानि हाथ में छिपाये हुए उसके दरवार में पहुँचा। द्वार पर दरवान ने पूछा कि इधर काहाँ जाओगे। सुदामा ने कहा मेरा बचपन का दोस्त श्री कृष्ण से मिलना चाहता हूँ।

दो-तीन वार कहने पर जैसे ही श्री कृष्ण (दवारकापति) को खबर मिली-कि दौङते हुए आए औऱ सुदामा को गले से लगा लिया और सिंघासन पर बैठाकर उनके पैर धोये | देवी रुक्मणि को बहुत ही आश्चर्य हुआ कि आज कैसा मेहमान आ गया है। श्री कृष्ण ने अपनी भाभी के दिए हुए उपहार को माँगने लगा।

सुदामा श्रम के मारे पोटली छिपा रहे थे। फिर भी भगवान श्री कृष्ण ने छीन कर तंडल यानि चावल को इतने प्रेम पूवक खाये कि रूखमणी को अन्त में तीसरी मुट्ठी खाते समय हाथ पकडृ लेती है और कहने लगी बस कीजिए अपने लिए भी तो कुछ रख लें ।

बाद में दोनों खाना खाने बैठे। सोने की थाली में अच्छा भोजन परोसा गया। सुदामा का दिल भर आया। उन्हें याद आया कि घर पर बच्चों को पूरा पेट भर खाना भी नहीं मिलता है। सुदामा वहाँ दो दिन रहे। वे कृष्ण के पास कुछ माँग नहीं सके। तीसरे दिन वापस घर जाने के लिए निकले। कृष्ण सुदामा के गले लगे और थोड़ी दूर तक छोड़ने गए।

घर जाते हुए सुदामा को विचार आया, “घर पर पत्नी पूछेगी कि क्या लाए ? तो क्या जवाब दूँगा ?”

सुदामा घर पहुँचे। वहाँ उन्हें अपनी झोपड़ी नज़र ही नहीं आई ! उतने में ही एक सुंदर घर में से उनकी पत्नी बाहर आई। उसने सुंदर कपड़े पहने थे। पत्नी ने सुदामा से कहा, “देखा कृष्ण का प्रताप ! हमारी गरीबी चली गई कृष्ण ने हमारे सारे दुःख दूर कर दिए।” सुदामा को कृष्ण का प्रेम याद आया। उनकी आँखों में खूशी के आँसू आ गए।

Shree Krishna Sudama Milan episode Ramanand Sagar – श्री कृष्ण सुदामा कहानी

Krishna Sudama episode Online: YouTube Video

कहानी :श्री कृष्ण सुदामा कहानी
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी
कहानी से सीख :कृष्ण और सुदामा का प्रेम यानी सच्चा मित्र

अंतिम बात :

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