हनुमान जी से सीखें ये 4 गुण: भगवान् शिव के अंश अवतार हनुमानजी भगवान् विष्णु के अवतार भगवान् श्री राम के परम भक्त हे आज हनुमान जयंती के अवसर पर इस कहानी में हम देखेंगे की भगवान हनुमान के निस्वार्थ जीवन से हमें क्या सीख़ मिलती है
नाम | महाबली हनुमान, महावी हनुमान, पवनपुत्र हनुमान |
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संबंध | रुद्र अवतार, |
मंत्र | ॐ श्री हनुमते नमः |
अस्त्र | गदा |
दिवस | मंगलवार और शनिवार |
पिता | राजा केसरी और वायुदेव |
माता | अंजना |
विषय | हनुमान जी से सीखें ये 4 गुण |
Table of Contents
हनुमान जी से सीखें ये 4 गुण – हनुमानजी से सीख
आइए जानते हे भगवान हनुमान से हमें क्या सीख लेनी चाहिए
1. निःस्वार्थ कर्म
हनुमानजी भगवान् श्री राम को लंका पहुंचाने से लेकर अयोध्या आने तक निस्वार्थ भाव से हर काम में डटे रहे. दोस्तों जब आप सच्चे मन से निस्वार्थ कर्म करेंगे तो – हर वह असंभव कार्य, जो आप नहीं कर पा रहे थे, वह कार्य भी आप सरलता पूर्वक कर पाएंगे। निस्वार्थ कर्म करने से आपका मन सदैव ही शांत होगा
2. हनुमान जी की महानता – नीर अहंकारी
लंका से माता सीता का समाचार लेकर सकुशल वापस पहुंचे हनुमानजी की हर तरफ से प्रशंसा हुई, लेकिन उन्होंने अपने पराक्रम का कोई किस्सा प्रभु श्री राम को नहीं सुनाया। बल्कि अपने बल का सारा श्रेय प्रभु श्री राम के आशीर्वाद को दिया था । दोस्तों हम अक्सर अपनी प्रसंशा सुनने के लिए बेकाबू हो जाते हे और कई बार तो प्रशंशा सुनने के लिए हम अनावश्यक चीज़े भी बता देते हे
3. विवेक अनुसार निर्णय लेना
जिस समय लक्ष्मण रण भूमि में मूर्छित हो गए तब उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी पूरा पहाड़ उठा लाए, क्योंकि वह संजीवनी बूटी नहीं पहचानते थे।और समय भी बहुत कम था इसीलिए शंका का समाधान करने के लिए पहाड़ ही उठा लाये दोस्तों हनुमान जी यहां हमें सिखाते हैं कि मनुष्य को शंका करने की बजाय शंका का समाधान करना चाहिए और हमें तत्काल विषम स्थिति में विवेकानुसार उचित निर्णय लेने की प्रेरणा देते हैं
4. सामर्थ्य के अनुसार प्रदर्शन
लंका की अशोकवाटिका में हनुमान जी और मेघनाथ के बीच हुए युद्ध में मेघनाथ ने ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रयोग किया। हनुमान जी चाहते, तो वह इसका तोड़ निकाल सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह ब्रह्मास्त्र का महत्व कम नहीं करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने ब्रह्मास्त्र का तीव्र आघात सह लिया। और ब्रह्माजी का मान भी रख लिया दोस्तों हमे भी अपने जीवन में शक्ति एवं सामर्थ्य के अनुसार उचित प्रदर्शन का गुण हनुमानजी से सीख सकते हैं
और उसके अलावा हनुमानजी ने हर कार्य में भगवान् श्रीराम जी को बार-बार याद किया। और हर कार्य में सफल रहे उससे हमे भी यह सीख मिलती हे की हमे भी अपने हर अभियान में सफल बनने के लिए परमात्मा को निरंतर याद करना चाहिए
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निष्कर्ष
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