जरासंध वध महाभारत : द्वापर युग के शक्तिशाली शासकों में जरासंध का नाम भी गिना जाता है। वो मगध का राजा और मथुरा नरेश कंस का ससुर था। जरासंध भगवान शंकर का परम भक्त था। उसने बलि देने के लिए 16000 राजाओं को बंदी बना रखा था। उसकी इच्छा उन राजाओं की बलि देकर अमर हो जाने की थी।
कहानी : | महाभारत – जरासंध वध |
शैली : | आध्यात्मिक कहानी |
सूत्र : | पुराण |
मूल भाषा : | हिंदी |
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महाभारत जरासंध वध – Mahabharat Jarasandh Vadh Story
जरासंध के कारनामे जितने आश्चर्यजनक हैं, उससे कही ज्यादा दिलचस्प उसके जन्म की कहानी है। दरअसल, जरासंध के पिता मगध नरेश बृहद्रथ को कोई संतान नहीं हो रही थी। संतान की लालसा में उन्होंने दूसरी शादी भी की, लेकिन संतान का सुख नहीं प्राप्त कर सकें।थक-हार कर बृहद्रथ ऋषि चण्डकौशिक की शरण में गए और उनकी खूब सेवा की।
ऋषिवर प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा को एक फल देकर कहा कि इसे अपनी धर्मपत्नी को खिला देना, तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हो जाएगी। बृहद्रथ चले गए और महल पहुंचकर वो फल अपनी दोनों रानियों को आधा-आधा खिला दिया।नौ महीने के उपरान्त दोनों रानियों को पुत्र तो हुआ, लेकिन आधा-आधा। रानियां डर गईं और दोनों टुकड़ों को बाहर फिंकवा दिया।
उसी समय वहां से गुजरती जरा नाम की राक्षसी ने दोनों धड़ों को देखा,जब उसने जीवित शिशु के दो टुकड़ों को देखा तो अपनी माया से उन दोनों टुकड़ों को जोड़ दिया और वह शिशु एक हो गया।जुड़ते ही बालक जोर-जोर से रोने लगा। उसके रोने की आवाज सुनकर राजा और उनकी दोनों रानियां भी वहां आ गईं।
राजा के पूछने पर जरा राक्षसी ने सब कुछ बता दिया। सुनकर राजा काफी प्रसन्न हुए और बालक का नाम उस राक्षसी के नाम पर जरासंध (जरा द्वारा संधित) रख दिया। जरासंध अपने पिता की मृत्यु के बाद मगध का राजा बना। राजा बनने के उसने समीपवर्ती राजाओं और प्रजा पर भयानक किस्म के अत्याचार करने शुरू कर दिए।
जरासंध वध महाभारत – Jarasandh Vadh Mahabharat
फलस्वरूप, भगवान श्रीकृष्ण ने जरासंध का वध करने के लिए योजना बनाई। उस समय युधिष्ठिर सम्राट बनने के लिए राजसूय यज्ञ कर रहे थे। इसके लिए सभी राजाओं को पराजित करना आवश्यक था। योजना के अनुसार श्रीकृष्ण, भीम व अर्जुन ब्राह्मण का वेष बनाकर जरासंध के पास गए और उसे कुश्ती के लिए ललकारा। जरासंध समझ गया कि ये ब्राह्मण नहीं है। जरासंध के कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया।
जरासंध ने भीम से कुश्ती लड़ने का निश्चय किया। राजा जरासंध और भीम का युद्ध 13 दिन तक लगातार चलता रहा। चौदहवें दिन भीम ने श्रीकृष्ण का इशारा समझ कर जरासंध के शरीर के दो टुकड़े कर दिए।
जरासंध वध के उपरान्त श्रीकृष्ण ने उसके कारागार में बंदी बनाए गए सभी राजाओं को मुक्त कर दिया और जरासंध के पुत्र सहदेव को वहां का राजा बना दिया।
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