मार्कण्डेय मुनि द्वारा वर्णित “महामृत्युंजय स्तोत्र” मृत्युंजय पंचांग में प्रसिद्ध है और यह मृत्यु के भय को मिटाने वाला स्तोत्र है। इस स्तोत्र द्वारा प्रार्थना करते हुए भक्त के मन में भगवान के प्रति दृढ़ विश्वास बन जाता है कि उसने भगवान “रुद्र” का आश्रय ले लिया है और यमराज भी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा
Mrityunjaya Stotram Detail:
स्तोत्र का नाम | महामृत्युंजय स्तोत्र |
संबंधित | भगवान् शिव |
भाषा | संस्कृत और हिंदी |
सूत्र | पुराण |
Table of Contents
महामृत्युंजय स्तोत्र हिंदी में – Maha Mrityunjaya Stotram in Sanskrit
॥ श्री महामृत्युंजय स्तॊत्रम् ॥
श्रीगणेशाय नमः ।
ॐ अस्य श्री महा मृत्युंजय स्तॊत्र मंत्रस्य
श्री मार्कांडॆय ऋषिः अनुष्टुप् छंदः
श्री मृत्युंजयॊ दॆवता गौरीशक्तिः मम सर्वारिष्ट
समस्त मृत्त्युशांत्यर्थं सकलैश्वर्य प्राप्त्यर्थं
जपॆ विनियॊगः अथ ध्यानम्
ध्यानम्
चन्द्रार्काग्निविलोचनं स्मितमुखं पद्मद्वयान्तस्थितं
मुद्रापाशमृगाक्षसत्रविलसत्पाणिं हिमांशुप्रभम् ।
कोटीन्दुप्रगलत्सुधाप्लुततमुं हारादिभूषोज्ज्वलं
कान्तं विश्वविमोहनं पशुपतिं मृत्युञ्जयं भावयेत् ॥
रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १॥
नीलकण्ठं कालमूर्त्तिं कालज्ञं कालनाशनम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ २॥
नीलकण्ठं विरूपाक्षं निर्मलं निलयप्रदम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ३॥
वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगद्गुरुम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ४॥
देवदेवं जगन्नाथं देवेशं वृषभध्वजम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ५॥
त्र्यक्षं चतुर्भुजं शान्तं जटामकुटधारिणम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ६॥
भस्मोद्धूलितसर्वाङ्गं नागाभरणभूषितम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ७॥
अनन्तमव्ययं शान्तं अक्षमालाधरं हरम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ८॥
आनन्दं परमं नित्यं कैवल्यपददायिनम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ९॥
अर्द्धनारीश्वरं देवं पार्वतीप्राणनायकम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १०॥
प्रलयस्थितिकर्त्तारमादिकर्त्तारमीश्वरम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ११॥
व्योमकेशं विरूपाक्षं चन्द्रार्द्धकृतशेखरम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १२॥
गङ्गाधरं शशिधरं शङ्करं शूलपाणिनम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १३॥
Variation
गङ्गाधरं महादेवं सर्वाभरणभूषितम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ६॥
अनाथः परमानन्तं कैवल्यपदगामिनि ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १४॥
स्वर्गापवर्गदातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारणम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १५॥
कल्पायुर्द्देहि मे पुण्यं यावदायुररोगताम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १६॥
शिवेशानां महादेवं वामदेवं सदाशिवम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १७॥
उत्पत्तिस्थितिसंहारकर्तारमीश्वरं गुरुम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १८॥
फलश्रुति
मार्कण्डेयकृतं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
तस्य मृत्युभयं नास्ति नाग्निचौरभयं क्वचित् ॥ १९॥
शतावर्त्तं प्रकर्तव्यं संकटे कष्टनाशनम् ।
शुचिर्भूत्वा पथेत्स्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम् ॥ २०॥
मृत्युञ्जय महादेव त्राहि मां शरणागतम् ।
जन्ममृत्युजरारोगैः पीडितं कर्मबन्धनैः ॥ २१॥
तावकस्त्वद्गतः प्राणस्त्वच्चित्तोऽहं सदा मृड ।
इति विज्ञाप्य देवेशं त्र्यम्बकाख्यमनुं जपेत् ॥ २३॥
नमः शिवाय साम्बाय हरये परमात्मने ।
प्रणतक्लेशनाशाय योगिनां पतये नमः ॥ २४॥
शताङ्गायुर्मन्त्रः ।
ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं ह्रैं ह्रः हन हन दह दह पच पच गृहाण गृहाण
मारय मारय मर्दय मर्दय महामहाभैरव भैरवरूपेण
धुनय धुनय कम्पय कम्पय विघ्नय विघ्नय विश्वेश्वर
क्षोभय क्षोभय कटुकटु मोहय मोहय हुं फट्
स्वाहा इति मन्त्रमात्रेण समाभीष्टो भवति ॥
॥ इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे मार्कण्डेयकृत महामृत्युञ्जयस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
महामृत्युंजय स्तोत्र के लाभ
- महामृत्युंजय स्तोत्र का पाठ बहुत ही चमत्कारी पाठ है
- मार्कंडेय कृत इस स्तोत्र का पाठ को करने से मनुष्य को मृत्यु का भय खत्म हो जाता है
- इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हे
- यह पाठ करने से भगवान् शिव की कृपा बनी रहती हे
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महामृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करने का महत्व
- जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ भगवान् शिव को समर्पित इस महामृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करता है उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं।
- शत्रुओं से रक्षा करने के लिए भी इस महामृत्युंजय स्तोत्र का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- महामृत्युंजय स्तोत्र के पठन से भक्त में एक अद्भुत शक्ति का संचार होता है जिससे वह हर कार्य को बिना किसी मुश्किल के आत्मविश्वास के साथ सिद्ध कर पाता है |
- यह स्तोत्र एक अत्यंत ही शक्तिशाली महामृत्युंजय स्तोत्र है
निष्कर्ष
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