माँ नवदुर्गा के 9 रूप : नवरात्र के 9 दिनों में आदिशक्ति माँ नवदुर्गा के 9 रूपों का भी पूजन किया जाता है। माता के इन 9 रूपों को ‘नवदुर्गा’ के नाम से जाना जाता है। नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के जिन 9 रूपों का पूजन किया जाता है, उनमें पहला शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवां स्कंदमाता, छठा कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवां सिद्धिदात्री
कहानी : | माँ नवदुर्गा के 9 रूप |
शैली : | आध्यात्मिक कहानी |
सूत्र : | पुराण |
मूल भाषा : | हिंदी |
Table of Contents
Nine avtar of Maa Durga | माँ नवदुर्गा के 9 रूप – Navratri 2023
लेकिन इन माताओ के नाम का अर्थ क्या होता हे ये हम इस आर्टिकल में विश्तार से प्रस्तुत करेंगे | तो आइये दोस्तों जानते हे आद्यशक्ति दुर्गा के नौ रूपों के बारेमे |
नवदुर्गा के 9 रूपों का वर्णन :
नाम | नवरात्री दिनों के नाम | नवदुर्गा के 9 रूप |
प्रथम दुर्गा | नवरात्री का पहला दिन | श्री शैलपुत्री (Shree Shailaputri Maa) |
द्वितीय दुर्गा | नवरात्री का दूसरा दिन | श्री ब्रह्मचारिणी (Shree Bharmacharini) |
तृतीय दुर्गा | नवरात्री का तीसरा दिन | श्री चंद्रघंटा (Shree Chandraghanta) |
चतुर्थ दुर्गा | नवरात्री का चौथा दिन | श्री कूष्मांडा (Shree Kushmanda) |
पंचम दुर्गा | नवरात्री का पाचवां दिन | श्री स्कंदमाता (Shree Skandamata) |
षष्टम दुर्गा | नवरात्री का छटवां दिन | श्री कात्यायनी (Shree Katyayani) |
सप्तम दुर्गा | नवरात्री का सातवाँ दिन | श्री कालरात्रि (Shree Kaalratri) |
अष्टम दुर्गा | नवरात्री का आठवां दिन | श्री महागौरी (Shree Maha Gauri) |
नवम् दुर्गा | नवरात्री का नवां दिन | श्री सिध्दीदात्री (Shree Siddhidatri) |
दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ के अनुसार देवी कवच स्तोत्र में माँ नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं जैसे कि..
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
नवरात्रि उत्सव के दौरान देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों का सम्मान किया जाता है,एवं पूजा जाता है, जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है।
नवदुर्गा: माँ दुर्गा के 9 रूप
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चन्द्रघंटा
- कूष्माण्डा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा के 9 रूप और हर एक नाम में दैवीय शक्ति को पहचानना ही नवरात्रि का पर्व मनाना है माँ नवदुर्गा के 9 रूप देवियों को पापों की विनाशिनी भी कहा जाता नवरात्रि त्यौहार की 9 रातें देवी माँ नवदुर्गा के नौ विभिन्न रूपों को समर्पित हैं
1 शैलपुत्री
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रथम नवरात्रा होता है। नवरात्र के पहले दिन माता के प्रथम रूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इसी कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इस देवी ने दाएँ हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएँ हाथ में कमल सुशोभित है। यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं
शैलपुत्री का मन्त्र:
वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम।
वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।
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२ ब्रह्मचारिणी
आश्विन मास की द्वितीया तिथि के दिन श्री दुर्गा के द्वितीय रूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता इस रूप में तपस्विनीस्वरूपा होती है। माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या-साधना की थी, उसी रूप के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
ब्रह्मचारिणी का मन्त्र:
दधाना करपाद्माभ्याम, अक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
३ चंद्रघंटा
माता के तीसरे रूप में चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता चंद्रघंटा के माथे पर चंद्र अर्द्ध स्वरूप में विद्यमान है। नवरात्र के तीसरे दिन इनका पूजन-अर्चन किया जाता है। माता चंद्रघंटा का पूजन करने से उपवासक की सभी मनोइच्छा स्वत: पूरी हो जाती है तथा वह सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है। उन्हें एक उग्र देवी के रूप में चित्रित किया गया है, जिनके माथे पर घंटी (घंटा) के आकार का आधा चंद्रमा है।
चंद्रघंटा का मन्त्र:
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्मं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
४ माता कूष्मांडा
नवरात्रे का चौथा दिन माता कूष्मांडा की पूजा-आराधना करने का है। यह माता कूष्मांडा का चौथा रूप है। एक मान्यता के अनुसार ब्रह्मांड की उत्पत्ति माता कूष्मांडा के उदर से हुई है। नवरात्रे के चौथे दिन इनकी पूजा-आराधना की जाती है। चौथे नवरात्रे को जो जन पूर्ण विधि-विधान से उपवास करता है, उसके समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं। माता कूष्मांडा की पूजा करने के बाद इस दिन उनको मालपुओं का भोग लगाया जाता है
उन्हें अक्सर आठ भुजाओं के साथ चित्रित किया जाता है और उन्हें सूर्य से जोड़ा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपनी दिव्य शक्ति से सूर्य का निर्माण किया था।
कूष्मांडा का मन्त्र:
सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।
५ स्कंदमाता
आश्विन मास में माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय की माता है। पांचवें दिन माता के इस रूप की आराधना करने से उपवासक को स्वत: ही सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को अपने पुत्र स्कन्द को गोद में लिये हुए दिखाया गया है।
स्कंदमाता का मन्त्र:
सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।
६ माता कात्यायनी
माता कात्यायनी माता दुर्गा का छठा रूप है। आश्विन मास की षष्ठी तिथि को माता के इस रूप की पूजा की जाती है। माता कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। माता को अपनी तपस्या से प्रसन्न करने के बाद उनके यहां माता ने पुत्री रूप में जन्म लिया, इसी कारण वे कात्यायनी कहलाईं। इस रूप में, उन्हें एक योद्धा देवी के रूप में दर्शाया गया है, जो शेर पर सवार हैं और विभिन्न हथियार रखती हैं।
कात्यायनी का मन्त्र:
चंद्रहासोज्जवलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातिनी।।
७ माता कालरात्रि
सप्तमी तिथि में माता के कालरात्रि स्वरूप की पूजा-आराधना की जाती है। ये माता काल अर्थात बुरी शक्तियों का नाश करने वाली हैं इसलिए इन्हें कालरात्रि के नाम से जाना जाता है।इस प्रकार माता की पूजा करने से व्यक्ति पर आने वाले शोक से मुक्ति मिलती है व उपवासक पर आकस्मिक रूप से आने वाले संकट भी कम होते हैं।
“कालरात्रि” नाम का अर्थ है “अंधेरी रात।” वह देवी का उग्र और भयानक रूप है, जो अंधेरे और विनाशकारी पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती है।
कालरात्रि का मन्त्र:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
८ माता महागौरी
श्री दुर्गा अष्टमी के दिन माता के आठवें रूप महागौरी की पूजा की जाती है। अपने गोरे रंग के कारण इनका नाम महागौरी पड़ा है। माता के महागौरी रूप का पूजन करने पर माता प्रसन्न होकर उपवासक के हर असंभव कार्य को भी संभव कर आशीर्वाद देती हैं। यह माता नि:संतानों की मनोकामना पूरी करती है। उन्हें गोरे रंग वाली एक शांत और उज्ज्वल देवी के रूप में दर्शाया गया है।
महागौरी का मन्त्र:
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव-प्रमोद-दा॥
९ माता सिद्धिदात्री
नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना का होता है। माता सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली कहा गया है। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इन्हें सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा जाता है। यह उपवास व्यक्ति को मृत्यु के भय से राहत देता है और अनहोनी घटनाओं से बचाता है | उन्हें कमल के फूल पर बैठी देवी के रूप में दर्शाया गया है और माना जाता है कि वह अपने भक्तों को वरदान और आशीर्वाद देती हैं।
सिद्धिदात्री का मन्त्र:
सिद्धंगधर्वयक्षाद्यै: असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
9 दिनों तक भक्त मां दुर्गा के नौं स्वरुपों का पूजन करते हैं। प्रथम दिन मां शैलपुत्री, द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी, चतुर्थ मां चंद्रघंटा, पंचम स्कंद माता, षष्टम मां कात्यायनी, सप्तम मां कालरात्रि, अष्टम मां महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। मां के हर स्वरुप की अपनी एक अलग विशिष्टता और निराली महिमा है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है, और भक्त इस शुभ अवधि के दौरान उनकी दिव्य उपस्थिति की पूजा करते हैं
नवदुर्गा नव रात्रि कविता:
मातारानी वरदान ना देना हमें,
बस थोड़ा सा प्यार देना हमें,
तेरे चरणों में बीते ये जीवन सारा,
एक बस यही आशीर्वाद देना हमें|
आप सबको नवरात्री की शुभकामनाये|
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माँ नवदुर्गा के 9 रूप के पूजन का महत्व
माँ दुर्गा के नौ अवतार हिंदू पौराणिक कथाओं में अत्यधिक महत्व रखते हैं और लाखों भक्तों द्वारा पूजे जाते हैं। यहां उनके महत्व के कुछ प्रमुख पहलू दिए गए हैं:
- माँ दुर्गा का प्रत्येक अवतार दैवीय शक्ति के एक विशिष्ट पहलू का प्रतिनिधित्व करता है। पालन-पोषण और सुरक्षा करने वाले मातृ रूप से लेकर उग्र और विनाशकारी अवतार देवी की बहुमुखी प्रकृति और अपने भक्तों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न तरीकों से प्रकट होने की उनकी क्षमता का प्रतीक हैं।
- माँ दुर्गा के अवतार अक्सर शक्तिशाली राक्षसों या नकारात्मक शक्तियों पर काबू पाने और उन्हें हराने से जुड़े होते हैं। वे बुराई पर अच्छाई की जीत, दुष्टता पर धार्मिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक अवतार से जुड़ी कहानियाँ भक्तों को चुनौतियों का सामना करने में मजबूत रहने और धार्मिकता की अंतिम जीत में विश्वास करने के लिए प्रेरित करती हैं।
- मां दुर्गा के नौ अवतारों को दिव्य ऊर्जा या शक्ति की अभिव्यक्ति माना जाता है। वे महिलाओं में निहित शक्ति, रचनात्मकता और ताकत का प्रतीक हैं
- प्रत्येक अवतार एक विशिष्ट गुण का प्रतिनिधित्व करता है जिसे भक्त अपने भीतर विकसित करने की आकांक्षा कर सकते हैं। इन अवतारों का चिंतन और पूजा करके, भक्त अपने जीवन में उनके गुणों और सद्गुणों का अनुकरण करना चाहते हैं।
- नवरात्रि के त्योहार के दौरान माँ दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा की जाती है, जो नौ रात और दस दिनों तक चलता है। भक्त प्रत्येक अवतार को समर्पित विभिन्न अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और समारोहों में संलग्न होते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, शुद्धिकरण और देवी के प्रति भक्ति को गहरा करने का समय है।
- माना जाता है कि मां दुर्गा का प्रत्येक अवतार अपने भक्तों को विशिष्ट आशीर्वाद और वरदान प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, कात्यायनी साहस से जुड़ी हैं, स्कंदमाता मातृत्व और प्रजनन क्षमता से, और सिद्धिदात्री आध्यात्मिक ज्ञान से जुड़ी हैं।
माँ दुर्गा के नौ अवतार अत्यधिक पूजनीय हैं और हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण महत्व रखते हैं। वे भक्तों को माँ की सर्वव्यापी और दयालु प्रकृति की याद दिलाते हुए दैवीय गुणों को अपनाने, प्रतिकूल परिस्थितियों पर विजय पाने और आध्यात्मिक उन्नति की तलाश करने के लिए प्रेरित करते हैं।
माँ नवदुर्गा के 9 रूप के पूजन का लाभ
माँ नवदुर्गा के 9 रूपों के पूजन का लाभ व्यापक और महत्वपूर्ण है। यहां आपको इन पूजनों के कुछ महत्वपूर्ण लाभों के बारे में बताया जाएगा:
- माँ नवदुर्गा के 9 रूपों के पूजन से आपके जीवन में आने वाले संकट और दुःखों का निवारण हो सकता है। इन पूजनों में जब आप माँ नवदुर्गा के 9 रूपों की आराधना और भक्ति करते हैं, तो वे आपके प्रश्न, चिंताएं और विपत्तियों को दूर करने में सहायता करती हैं।
- माँ नवदुर्गा के पूजन से आपको मानसिक शांति, स्थिरता और आत्मिक सुख मिल सकता है। इन पूजनों में ध्यान और मनःसंयम करने से मन की उच्चता और चेतना में सुधार होता है
- माँ नवदुर्गा के पूजन से आपको समृद्धि और आर्थिक सुख प्राप्त हो सकता है। इन पूजनों के द्वारा आप विशेष आर्थिक समस्याओं का निवारण कर सकते हे
- माँ की कृपा से आपको व्यापार, नौकरी, वित्तीय स्थिति और आर्थिक संपत्ति में वृद्धि हो सकती है।
- माँ नवदुर्गा के पूजन से आपको स्वास्थ्य सही रखने में मदद मिलती है। आपके शरीर में बिमारियों का निवारण हो सकता है और आपको सकारात्मक ऊर्जा और ताकत मिल सकती है।
- माँ नवदुर्गा के पूजन से आपको किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त हो सकती है। माँ नवदुर्गा के पूजनों द्वारा आपकी दृढ़ता, साहस, और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है
- माँ नवदुर्गा के पूजन से आपको आध्यात्मिक उन्नति और आत्मानुभूति प्राप्त हो सकती है।
ध्यान और पूरी निष्ठा के साथ माँ नवदुर्गा के 9 रूपो पूजन करे जिससे माँ के आशीर्वाद से आप अपने जीवन को आर्थिक, मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध कर सके।
FAQ For माँ नवदुर्गा के 9 रूप :
Q1 नवरात्रि के 9 दिन किसकी पूजा की जाती है ?
Ans: नवरात्र के 9 दिनों में माँ नवदुर्गा के 9 रूपों का पूजन किया जाता है।
Q2 नवरात्रि 2023 में कब है ?
Ans: नवरात्रि प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 को रात 10:52 मिनट से शुरू होकर 22 मार्च 2023 को रात 8:20 मिनट पर समाप्त होगी।
Q3 नवरात्रि का पहला दिन माँ नवदुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती हे ?
Ans: नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है
Q4 नवरात्रि का दूसरे दिन माँ नवदुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती हे ?
Ans: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
Q5 नवरात्रि का तीसरे दिन माँ नवदुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती हे ?
Ans: नवरात्री के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
Q6 नवरात्रि का चौथे दिन माँ नवदुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती हे ?
Ans: नवरात्री के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है।
अंतिम बात :
दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “माँ नवदुर्गा के 9 रूप की कहानी” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | हमने पूरी कोशिष की हे आपको सही जानकारी मिल सके| आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके |
हमे उम्मीद हे की आपको Nine avtar of Maa Durga वाला यह आर्टिक्ल पसंद आया होगा | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है | ऐसी ही कहानी के बारेमे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे धन्यवाद ! 🙏 जय माँ नवदुर्गा 🙏