राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी
प्रेम संसार का सबसे पवित्र बंधन है,
पर सच पूछो तो ये बंधन से मुक्ति है, स्वतंत्रता है।
नहीं समझे? में समझाता हूँ ,
यदि कोई आपका प्रेम ठुकरा दे,
यदि कोई आपका प्रेम समझ ही ना पाए तो क्या होगा?
कुछ उदास हो जायेंगे, कुछ छल करके प्रेम पाना चाहेंगे
तो कुछ बलपूर्वक प्रेम पर अधिकार करना चाहेंगे।
किन्तु ये आवश्यक नहीं कि जिससे आप प्रेम करते हो
उसे भी आपसे प्रेम हो।
क्योंकि प्रेम कोई वस्तु नहीं, ना राज्य है,
ना धन जिसे आप बल से अपने वश में कर सको।
प्रेम वो शक्ति है जो आपके लिए हर बंधन तोड़ सकती है
किन्तु स्वयं किसी बंधन में नहीं फंसती।
तो जिससे भी आप प्रेम करते हो उसे स्वतंत्र छोड़ दीजिये।
क्योंकि स्वतंत्रता ही वो भाव है जो जीव को सबसे अधिक प्रिय है।
प्रेम सच्चा होगा तो उसे अवश्य समझ में आएगा,
तब तक के लिए निस्वार्थ भाव से प्रेम कीजिये,
स्वार्थ हट जायेगा तो प्रेम आ ही जाएगा और
मन प्रसन्न होकर बोलेगा
राधे-राधे!