Samudhra Manthan Story hindi : हिन्दू धर्म से संबंधित लगभग सभी लोग समुद्रमंथन की कथा को जानते हैं। यह कथा समुद्र से अमृत के प्याले से जुड़ी है जिसे पीने के लिए देवताओं और असुरों में विवाद उत्पन्न हो गया था।
कहानी : | समुद्रमंथन पौराणिक कथा और रहस्य |
शैली : | आध्यात्मिक कहानी |
सूत्र : | पुराण |
मूल भाषा : | हिंदी |
मंदराचल पर्वत और वासुकि नाग की सहायता से समुद्र मंथन की तैयारी शुरू की गई थी i । मंदराचल पर्वत के चारो ओर सर्प वासुकि को लपेटकर रस्सी की तरह प्रयोग किया गया था । इतना ही नहीं विष्णु ने कछुए का रूप लेकर मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर रखकर उसे सागर में डूबने से बचाया था।
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समुद्रमंथन पौराणिक कथा और रहस्य – Samudhra Manthan Story hindi
क्षीर सागर में इस अमृत मंथन के दौरान सागर से सिर्फ अमृत का प्याला ही नहीं बल्कि और भी बहुत सी चीजें निकली थीं, जिनका वितरण देवताओं और असुरों में बराबर रूप से किया गया था।समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले विष का प्याला, हलाहल निकला, जिसे ना तो देवता ग्रहण करना चाहते थे और ना ही असुर। यह विष इतना खतरनाक था जो संपूर्ण ब्रह्मांड का विनाश कर सकता था। हलाहल विष को ग्रहण करने के लिए स्वयं भगवान शिव आए।
शिव ने विष का प्याला पी लिया लेकिन उनकी पत्नी पार्वती, जो उनके साथ खड़ी थीं उन्होंने उनके गले को पकड़ लिया ताकि विष उनके भीतर ना जा सके। ऐसे में ना तो विष उनके गले से बाहर निकला और ना ही शरीर के अंदर गया। वह उनके गले में ही अटक गया, जिसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया। इसीलिए भगवान् शिव को नीलकंठ महादेव भी कहते हे
देवता चाहते थे कि अमृत के प्याले में से एक भी घूंट असुरों को ना मिल पाए, नहीं तो वे अमर हो जाएंगे। वहीं असुर अपनी शक्तियों को बढ़ाने और अनश्वर रहने के लिए अमृत का पान किसी भी रूप में करना चाहते थे।
असुरों के हाथ अमृत का प्याला ना लग सके इसलिए स्वयं भगवान विष्णु को मोहिनी अवतार लेना पड़ा, ताकि वे असुरों का ध्यान अमृत से हटाकर सारा प्याला देवताओं को पिला सकें। ऐस ही देवतागण अमृत पी गए
और अपने आत्मसंयम को खो चुके असुरों के हाथ अमृत का घूंट नहीं लगा।
खैर ये तो पौराणिक कथा है जो व्यक्ति के वास्तविक जीवन से बहुत गहरे तौर पर जुड़ी हुई है। इस कथा में एक गुप्त कहानी भी छिपी हुई है जो व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है।
चलिए आपको बताते हैं समुद्र मंथन की कथा, उसके पात्र और मंथन के बाद सागर से निकली वस्तुओं का व्यक्ति के जीवन से क्या और किस तरह का आध्यात्मिक संबंध है। यह कहानी मनुष्य द्वारा किए गए उन प्रयत्नों से जुड़ी है जो उसे मोक्ष और अलौकिक सत्य की शरण में ले जाने में सक्षम हैं।
इस कहानी में देवताओं का किरदार व्यक्ति के भीतर छिपी इच्छाओं को प्रदर्शित करता है, जिन्हें पूरा करने के लिए वह हर कोशिश करता है। देवता आपकी इन्द्रीय और समझ को दर्शाते हैं जबकि असुर आपकी नकारात्मक इच्छाओं और आपके भीतर छिपी बुराइयों के प्रतीक हैं।
क्षीर सागर आपकी अंतरचेतना का प्रतीक है। मस्तिष्क को हमेशा सागर माना गया है क्योंकि इसके भीतर बहुत सी चीजें छिपी हैं वहीं विचार और भावनाएं इसकी लहरों के समान हैं जो समय-समय पर अपना रुख बदलती रहती हैं।
मंदार, अर्थात मन और धार, पर्वत आपकी एकाग्रता को दर्शाता है। क्योंकि यह एक धार यानि एक ही दिशा में सोचने की बात कहता है जो एकाग्रता से ही संभव है।
कूर्म अवतार -‘कच्छप अवतार
भगवान् विष्णु का अवतार कछुआ, अहं को छोड़कर एकाग्रता की राह अपनाने को दर्शाता है वहीं वासुकि सर्प इच्छाओं का प्रतीक है। इसके अलावा हलाहल, भौतिक जीवन से जुड़े दुख और परेशानियों को दर्शाता है। हमने कई लोगों को यह कहते सुना है कि जब हम साधना के पथ पर चलते हैं तो शुरुआत में कई परेशानियों से जूझना पड़ता है।
हलाहल को ग्रहण करने वाले भगवान शिव भ्रम का विनाश करने वाले पवित्र देव हैं। वह इच्छा और तत्परता का प्रतीक है जो साधना के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए जरूरी है। इसके अलावा वे मस्तिष्क पर नियंत्रण करने को भी दर्शाते हैं।
मोहिनी के आकर्षक रूप में भगवान विष्णु गर्व और भटकाव का प्रदर्शन करते हैं जो आपको अमृत यानि जीवन के सार से दूर करता है। ये आखिरी दो ऐसी चीजें हैं जो व्यक्ति को उसके उद्देश्य पाने की राह से दूर करती हैं।
सागर मंथन के दौरान निकली वस्तुओं का अर्थ एकाग्रता से ध्यान लगाने और भौतिक समस्याओं से खुद को दूर करने के बाद प्राप्त होने वाली सिद्धियों से है।
समुद्र मंथन – Samudhra Manthan Story hindi
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अंतिम बात :
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