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label/Krishnavani - search results

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राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -103

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणकभी आपने किसी पंछी को देखा है? तीव्र वायु, भयंकर वर्षा, हिंसक जीव कई बार उनके घोसलों को नष्ट कर देते...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -105

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीसमय बड़ा ही विचित्र अनुभव देता है। जब प्रतीक्षा कर रहे हो तो लम्बा हो जाता है, एक-एक क्षण एक-एक दिन...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -107

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीये संसार बहुत ही बड़ा है और हम उसके सामने बहुत ही छोटे है। इस संसार में लाखों लोग ऐसे मिल...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -106

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी“अग्नि” जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है ये अग्नि। ये अग्नि ही है जो ऊर्जा बन कर हमें जीवित रखती...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -110

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीआपके विचार से मैं क्या कर रहा हूँ? आप कहेंगे मैं दीपक जला रहा हूँ, सही। किन्तु प्रश्न ये उठता है...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -109

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीक्या आप इस मकड़ी के जाले को देख रहे है? मकड़ी बड़े ही परिश्रम से इसे बनाती है अपने शरीर के...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -108

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीये है एक कोमल सा धागा सोचता हूँ यदि मैं इससे वस्त्र बुन लूँ तो स्वयं के लिए कितनी सुन्दर...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -111

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी“समय” कितना विचित्र होता है। समय हमारे साथ हो तो हम स्वयं को राजा मान लेते है। वही समय यदि विरुद्ध...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 70

कभी-कभी आपके मन में ये प्रश्न नहीं उठता कि इस संसार में ऐसा क्या है जिसे पाना असम्भव है? उठता है, मेरे मन में...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 69

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी शीत ऋतु की संध्या में इन जलती हुई लकड़ियों पर हाथ तापना किसे नहीं भाता? कितने प्रहर बीत जाते है लकड़ियों...

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