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राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 58

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीमनुष्य की एक विशेष प्रवृति होती है वो कभी स्वयं से संतुष्ट नहीं रहता, कभी स्वयं से प्रसन्न नहीं रहता, जो...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 57

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीएक चींटी का जीवन बहुत ही कम होता है। दो दिन, अधिक से अधिक एक सप्ताह बस। कितने कम भोजन की...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 56

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीकुछ पक्षियों को देखा है? जीवन भर घोंसला बनाते रहते है। यहां से डाली लेकर, वहां से तिनका लेकर, सदा इस...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 55

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीजीवन में समय चाहे जैसा भी हो अपनों का साथ बड़ा आवश्यक होता है। सुख हो तो बढ़ जाता है, दुःख...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 54

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीहमारे जीवन में शिक्षक बड़ा महत्त्वपूर्ण है। “शिक्षक” जो हमें जीवन जीने की आवश्यक कला सिखाता है, जीवन जीना सिखाता है...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 53

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीइस प्रकृति ने सभी जीवों की रचना की, भूख की मांग के लिए सबको पेट दिए और व्यवस्था भी की कि...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 52

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीकभी बरगद के वृक्ष को देखा है? कितना विशाल होता है,कभी-कभी भय लगता है कि इन भारी डालों का बोझइतना सह...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 51

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीजीव जन्म लेता है और उसके साथ ही जागती है उसकी “स्मृति” स्मृति बड़ी ही बलशाली किन्तु विचित्र अनुभूति होती है,...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 50

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीबालपन से कई पहेलियाँ सुलझायी होंगी आपने, क्यों? तो आज एक और सुलझा लीजिये, बताइये आपके जीवन में वो कौन सी...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 49

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीअक्सर आपने आपके माता-पिता, आपके हितैषी,आपके शुभचिंतकों के मुँह से सुना होगा इसे कुदृष्टि लग गयी है, इसकी कुदृष्टि उतारो, ये मत...

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