Story of Lord Krishna’s Death : भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता हे और आज भी हिन्दू धर्म सब लोग में श्रीकृष्ण को उतना ही प्रेम करते हे
महाभारत युद्ध की समाप्त होने के बाद कौरवों की माता गांधारी अपने पुत्रो की मृत्यु को देख कर क्रोधित हो जाती हे और महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया की जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा।
कहानी : | किसके हाथों हुई : भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु |
शैली : | आध्यात्मिक कहानी |
सूत्र : | पुराण |
मूल भाषा : | हिंदी |
कहानी से सीख : | हम जो भी कर्म करते हे हमे वैसा ही फल मिलता हे |
Table of Contents
जानिए किसके हाथों हुई थी ? भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु! | Story of Lord Krishna’s Death
भगवान् श्री कृष्ण ने भगवद गीता में कहा हे की हम जो भी कर्म करते हे हमे वैसा ही फल मिलता हे और कर्म से कोई भी बच नहीं सकता स्वयं भगवान भी नहीं यही कर्म का विधान हे
और इसीलिए ये श्राप भी विधि का विधान था क्योकि उस समय यदुवंश सबसे शक्तिशाली बन चुके थे और इसीलिए उनमे अहंकार भी आ गया था अब गांधारी के श्राप का प्रभाव भी होने लगा था | श्राप के प्रभाव से अहंकार में वशीभूत यदुवंशी एक दूसरे को मारने लगे। और देखते ही देखते यदुवंश का नाश हो गया
बलराम ने कैसे छोड़ी पृथ्वी – बलराम का देहत्याग
यदुवंश के नाश के बाद कृष्ण के ज्येष्ठ भाई बलराम समुद्र तट पर बैठ गए और एकाग्रचित्त होकर परमात्मा में लीन हो गए। इस प्रकार शेषनाग के अवतार बलरामजी ने देह त्यागी और स्वधाम लौट गए।
बलराम जी के देह त्यागने के बाद जब एक दिन श्रीकृष्ण एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ कर ध्यानस्थ हो गये। तब उस क्षेत्र में एक जरा नामक एक बहेलिये ने भूलवश उन्हें हिरण समझ कर विषयुक्त बाण चला दिया जो के उनके पैर में जाकर लगा | जब वह पास गया तो उसने देखा कि श्रीकृष्ण के पैरों में उसने तीर मार दिया है।
इसके बाद उसे बहुत पश्चाताप हुआ और वह क्षमायाचना करने लगा। तब श्रीकृष्ण ने बहेलिए से कहा कि जरा तू डर मत, तूने जो किया हे वो विधि का विधान हे । प्रभु ने त्रेतायुग में श्री राम के रूप में अवतार लेकर बाली को छुपकर तीर मारा था। कृष्णावतार के समय भगवान ने उसी बाली को जरा नामक बहेलिया बनाया और अपने लिए वैसी ही मृत्यु चुनी, जैसी बाली को दी थी।
जिससे प्रभु अपनी लीला भी समाप्त कर पाए और विधि का विधान भी अटल रहे और इसी तरह भगवन श्री कृष्ण अपनी द्वापर युग की लीला को समाप्त कर अपने स्वधाम वैकुण्ठ लोक चले गए
इसके बाद श्रीकृष्ण के निवास स्थान को छोड़कर शेष द्वारिका समुद्र में डूब गई। श्रीकृष्ण के स्वधाम लौटने की सूचना पाकर सभी पाण्डवों ने भी हिमालय की ओर यात्रा प्रारंभ कर दी थी। इसी यात्रा में ही एक-एक करके पांडव भी शरीर का त्याग करते गए।
श्रीकृष्ण के यदुवंश का नाश – Story of Lord Krishna’s Death
Lord Krishna’s Death YouTube Video
अंतिम बात :
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