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Mahabharat Veer Abhimanyu story – वीर अभिमन्यु की कहानी

Mahabharat Veer Abhimanyu story

Mahabharat Veer Abhimanyu story : वीरता बुद्धिमानी और पौरुष का एक महान उदाहरण है महाभारत युग का ‘वीर अभिमन्यु’, जिसे अर्जुन-पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। पाण्डवों में से सबसे कुशल और आकर्षक इन्द्र देव द्वारा कुंती को वरदान में दिए गए अर्जुन को समस्त संसार उनके धनुर्धारी कौशल के लिए जानता है।

धारावाहिक : श्रीकृष्ण रामानंद सागर कृत
कहानी :वीर अभिमन्यु की कहानी
संगीत : रवींद्र जैन
निर्देशक रामानंद सागर
शैली पौराणिक कथा
मूल प्रसारण 18 जुलाई 1993 – 5 अक्टूबर 1997
मूल चैनल :दूरदर्शन
छायांकन :अजित नाइक
निर्माता :रामानंद सागर, आनंद सागर, मोती सागर
संपादक :सुभाष सहगल
मूल भाषा :हिंदी (Hindi)

अर्जुन की तरह ही उनका पुत्र भी उनकी छाया लेकर पैदा हुआ था। बचपन से ही अपने माता-पिता और अन्य पाण्डु भाइयों का आदर करने वाला अभिमन्यु, श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा और अर्जुन की संतान था। अभिमन्यु का बचपन कृष्ण की नगरी द्वारिका में ही बीता था, जहां कृष्णजी के संरक्षण में उसने हर तरह का योग्य ज्ञान हासिल किया|

वीर अभिमन्यु की कहानी – Mahabharat Veer Abhimanyu Story in Hindi

कहते हैं कि ना केवल अपने जीवन के दौरान, बल्कि इस संसार में आने से पहले ही अभिमन्यु ने अपनी माता सुभद्रा के गर्भ में युद्ध का ज्ञान हासिल कर लिया था।

यह तब की बात है जब अर्जुन अपनी पत्नी सुभद्रा को चक्रव्यूह भेदने की तकनीक समझा रहे थे। उस समय अभिमन्यु सुभद्रा के गर्भ में था और उनकी सारी बातों को सुन रहा था। अर्जुन अपनी पत्नी सुभद्रा को चक्रव्यूह में जाने, उसके सारे व्यूह भेदने और अंत में वहां से कैसे बाहर आना है, उसकी कला बता रहे थे।

अर्जुन एक के बाद एक सुभद्रा को व्यूह में प्रवेश करने और शत्रुओं को कैसे पराजित किया जाए, उसका वर्णन कर रहे थे। अर्जुन द्वारा सुभद्रा को मकरव्यूह, कर्मव्यूह और सर्पव्यूह की जानकारी दी गई। यह सब पार करने के बाद किस तरह से चक्रव्यूह से बाहर आया जा सकता है, यह अर्जुन बताने ही वाले थे कि उन्होंने देखा कि उनकी पत्नी सो गई है।

सुभद्रा को सोता हुआ देख अर्जुन ने उन्हें आगे परेशान करना ठीक ना समझा और वहां से चले गए। इस प्रकार से अभिमन्यु ने चक्रव्यूह के बहुत से राज़ जान तो लिए लेकिन अंतिम और बेहद महत्वपूर्ण तरीका वह जान ना सका। पूरे महाभारत काल में अर्जुन के बाद यदि कोई चक्रव्यूह में जाने का साहस कर सकता था तो वह केवल अभिमन्यु था।

वीर अभिमन्यु की कहानी और चक्रव्यूह

अभिमन्यु का कौशल सभी ने कुरुक्षेत्र युद्ध के 13वें दिन देखा, जब अभिमन्यु एक के बाद एक कौरवों के महारथियों को पराजित कर रहे थे। कौरव सेना भयभीत हो गई। वह समझ नहीं पा रहे थे कि किस प्रकार से अभिमन्यु को रोका जाए।

कहते हैं कि अभिमन्यु द्वंद्व युद्ध में इतने माहिर थे कि कौरवों में शायद ही कोई ऐसा योद्धा था जो उन्हें पराजित कर सके। इसीलिए उन्हें पराजित करने के लिए कौरवों ने छ्ल का सहारा लिया। गुरु द्रोण द्वारा पाण्डवों को हराने के लिए चक्रव्यूह की रचना की गई। वे जानते थे कि चक्रव्यूह को भेदने की कला केवल अर्जुन को आती है, लेकिन अर्जुन-पुत्र की क्षमता से अनजान थे गुरु द्रोण।

गुरु द्रोण द्वारा चक्रव्यूह रचा गया परन्तु उस दिन शायद पाण्डवों की किस्मत उनके साथ नहीं थी। गुरु द्रोण ने पाण्डवों को सबके सामने चक्रव्यूह भेदने की चुनौती दी। उस समय किसी कारणवश अर्जुन लड़ते-लड़ते रणक्षेत्र से काफी दूर चले गए थे। वे इस बात से अनजान थे कि गुरु द्रोण द्वारा चक्रव्यूह रचा जा रहा है।

अर्जुन-पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदने के लिए उसमें घुस गया। चक्रव्यूह में प्रवेश करने के बाद अभिमन्यु ने कुशलतापूर्वक चक्रव्यूह के छः चरण भेद लिए।छह चरण पार करने के बाद अभिमन्यु जैसे ही सातवें और आखिरी चरण पर पहुंचा, तो उसे दुर्योधन, जयद्रथ आदि सात महारथियों ने घेर लिया।

वीर अभिमन्यु वध महाभारत – Mahabharat Abhimanyu Vadh

अपने सामने इतने सारे महारथी देख कर भी अभिमन्यु ने साहस ना छोड़ा।अब अभिमन्यु का रथ टूट चुका था। फिर भी अपनी रक्षा करने के लिए अभिमन्यु ने अपने रथ के पहिये को अपने ऊपर रक्षाकवच बनाते हुए रख लिया, और दाएं हाथ से तलवारबाजी करता रहा। कुछ देर बाद अभिमन्यु की तलवार भी टूट गई और साथ ही कौरवोंने उसके रथ का पहिया भी चकनाचूर कर दिया था।

इसके बाद भी अभिमन्यु अपने बल से लड़ता रहा और प्रहार करता रहा, किंतु तभी जयद्रथ ने पीछे से निहत्थे अभिमन्यु पर ज़ोरदार प्रहार किया। उस वार की मार अभिमन्यु सह ना सका और वीरगति को प्राप्त हो गया। अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार जब अर्जुन को मिला तो वह बेहद क्रोधित हो उठे और अपने पुत्र की मृत्यु के लिए शत्रुओं का सर्वनाश करने का फैसला किया।दोस्तों इसी प्रकार आखिर में लड़ते लड़ते अर्जुन पुत्र वीर अभिमन्यु के जीवन का अंत हो जाता हे |

वीर अभिमन्यु से सीख

अभिमन्यु ने जाते-जाते सिखा दिया कि परिस्थितियां कितनी भी बिगड़ जाएँ, इन्सान को धैर्य के साथ उनका सामना करना चाहिए। इस संसार में केवल युद्ध को जीतना ही श्रेष्ठता नहीं कहलाती युद्ध में अपना साहस दिखाने वाले को भी संसार में सम्मान की नजर से देखा जाता है।

Mahabharat Veer Abhimanyu : YouTube Video

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