Mahamṛtyuṃjaya Mantra महामृत्युंजय मंत्र “मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र” हे | जिसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है | यह मंत्र यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में भगवान शिव की स्तुति हेतु की गयी एक वंदना है। इस मंत्र में शिव को ‘मृत्यु को जीतने वाला’ बताया गया है।
Mahamrityunjaya Mantra Detail:
स्तोत्र का नाम : | ॐ त्र्यम्बकं यजामहे |
शैली : | आध्यात्मिक कहानी |
सूत्र : | यजुर्वेद |
मूल भाषा : | संस्कृत और हिंदी |
संबंधित : | भगवान शिव |
Table of Contents
महामृत्युंजय मंत्र हिन्दी अर्थ – Mahamrityunjaya Mantra : Om Tryambakam Yajamahe
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- त्रयंबकम– कर्मकारक। त्रि.नेत्रों वाला |
- यजामहे– हम पूजते हैं | सम्मान करते हैं।
- सुगंधिम– सुगंधित। यानि मीठी महक वाला,
- पुष्टि– जीवन की परिपूर्णता | एक सुपोषित स्थिति | फलने वाला व्यक्ति।
- वर्धनम– वह जो शक्ति देता है। पोषण करता है
- उर्वारुक– ककड़ी।
- इवत्र– जैसे, इस तरह।
- बंधनात्र– वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।
- मृत्यु– मृत्यु से
- मुक्षिया, मुक्ति दें। हमें स्वतंत्र करें |
- मा – नअमृतात– अमरता, मोक्ष।
Mahamrityunjaya Mantra Meaning: Om, We Worship the lord Shiva with the Three-Eyed, Who is Fragrant as the Spiritual Essence, Increasing the Nourishment of our Spiritual Core; From these many Bondages of Samsara similar to Cucumbers tied to their Creepers, May I be Liberated from Death (Attachment to Perishable Things), So that I am not separated from the perception of Immortality (Immortal Essence pervading everywhere).
महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी अर्थ
इस मंत्र के 33 अक्षर हैं। जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 करोड़ देवताओं के प्रतिक हैं। उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्य, 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस कोटि देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ इस मंत्र से निहीत होती है |
रामायण के अनुसार, भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे जिन्होने यहां अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से बचाने के लिए यहां से श्रीलंका तक के लिए एक पुल का निर्माण किया था। पुराणों में रामेश्वरम् का नाम गंधमादन है।वास्तव में रामेश्वर का अर्थ होता है भगवान राम और इस स्थान का नाम, भगवान राम के नाम पर ही रखा गया हे ।
महामृत्युंजय मंत्र का महत्व – Benefits of Mahamrityunjaya Mantra
महामृत्युंजय मंत्र हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण महत्व रखता है और इसे सबसे शक्तिशाली और पूजनीय मंत्रों में से एक माना जाता है। इसे हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवता भगवान शिव को संबोधित किया जाता है, और इसे “महान मृत्यु-विजेता मंत्र” या “त्र्यंबकम मंत्र” के रूप में भी जाना जाता है।
यहां कुछ कारण बताए गए हैं कि क्यों महामृत्युंजय मंत्र को महत्वपूर्ण माना जाता है:
- संरक्षण और उपचार: महामृत्युंजय मंत्र का प्राथमिक महत्व सुरक्षा और उपचार प्रदान करने की क्षमता में निहित है। ऐसा माना जाता है कि इसमें मृत्यु के भय को दूर करने और शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बीमारियों को दूर करने की शक्ति है। अच्छे स्वास्थ्य, जीवन शक्ति और दीर्घायु के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है।
- जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति: हिंदू दर्शन के अनुसार जीवन जन्म और मृत्यु का चक्र है। मोक्ष या निर्वाण के रूप में समजे जाने वाले इस चक्र से मुक्ति पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र को एक शक्तिशाली साधन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से मृत्यु के भय को दूर किया जा सकता है और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
- आंतरिक शक्ति और आध्यात्मिक विकास: इस मंत्र का पाठ भगवान शिव के दिव्य गुणों को अपने भीतर जगाने के लिए कहा जाता है। मंत्र आध्यात्मिक विकास की सुविधा भी देता है और दिव्य चेतना के साथ संबंध को गहरा करता है।
- आशीर्वाद और दैवीय कृपा: इस मंत्र का जाप करना भगवान शिव की भक्ति और समर्पण का कार्य माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह देवता के आशीर्वाद और कृपा को आकर्षित करता है, कठिनाई के समय में दिव्य सुरक्षा, मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करता है।
- सार्वभौमिक सद्भाव और शांति: माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से उत्पन्न कंपन का पर्यावरण पर शुद्ध और सामंजस्यपूर्ण प्रभाव पड़ता है। सकारात्मक और शांतिपूर्ण वातावरण बनाने के लिए अक्सर आध्यात्मिक सभाओं और प्राकृतिक आपदाओं के समय सामूहिक रूप से इसका जप किया जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महामृत्युंजय मंत्र का महत्व किसी विशेष धार्मिक या सांस्कृतिक संदर्भ से परे है।
महामृत्युंजय मंत्र से लाभ
- शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यह सबसे आसान तरीका बताया गया है।
- जो कोई भी इस मंत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली विपत्तियाँ दूर होती हैं
- इस मंत्र का पाठ करने से भक्त को मन की शांति मिलती है और वह व्यक्ति सभी बुराइयों और बुरे विचारों से दूर रहता है।
- इस मंत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली विपत्तियाँ दूर होती हैं
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FAQs For Mahamrityunjaya Mantra
महा मृत्युंजय मंत्र कौन सा है?
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे मंत्र का अर्थ क्या है?
महामृत्युंजय मंत्र के 33 अक्षर हैं। जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 करोड़ देवताओं के प्रतिक हैं। उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्य, 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस कोटि देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ इस से निहीत होती है |
अंतिम बात :
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