Meghnaad Ramayan : मेघनाद लंका के राजा रावण का पुत्र था | मेघनाद मय कन्या तथा रावण की पटरानी मंदोदरी के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार जब मेघनाद ( meghnad ) का जन्म हुआ तो वह समान्य शिशुओं की तरह रोया नहीं था बल्कि उसके मुंह से बिजली की कड़कने की आवाज सुनाई दी थी.
कहानी : | Meghnaad Ramayan |
शैली : | आध्यात्मिक कहानी |
सूत्र : | पुराण |
मूल भाषा : | हिंदी |
यही कारण था की रावण ने अपने इस पुत्र का नाम “मेघनाद” ( meghnad ) रखा. और वे मेघनाद के नाम से विख्यात हुए जब मेघनाद युवा अवस्था में पहुंचा तो उसने कठिन तपश्या के बल पर संसार के तीन सबसे घातक अस्त्र ( ब्र्ह्मास्त्र, पशुपति अस्त्र और वैष्णव अस्त्र ) प्राप्त कर लिया था.मेघनाद बड़ा ही वीर तथा प्रतापी था।
मेघनाथ और इंद्रजीत नाम का रहस्य – Meghnaad Ramayan Ramanand Sagar
मेघनाद ( meghnad ) ने एक बार देवराज इंद्र के साथ युद्ध लड़ कर उन्हें बंदी बना लिया व अपने रथ के पीछे बांध दिया था. तब स्वयं ब्रह्मा जी को इंद्र की रक्षा के लिए प्रकट होना पड़ा तथा उन्होंने मेघनाद ( meghnad ) से इंद्र को छोड़ने के लिए कहा . ब्र्ह्मा जी की आज्ञा सुन मेघनाद ने इंद्र को बंधन-मुक्त कर दिया.
ब्र्ह्मा जी ने मेघनाद से प्रसन्न होकर उससे वर मांगने को कहा, इस पर मेघनाद ( meghnad ) ने ब्र्ह्मा से अमरता का वर मांगा जिस को देने के लिए ब्र्ह्मा जी ने अपनी असमर्थता जताई. परन्तु ब्र्ह्मा ने उसे उसके समान ही वर जरूर दिया. अपनी कुल देवी प्रत्यांगीरा के यज्ञ के दौरान मेघनाद को स्वयं त्रिदेव नहीं हरा सकते और नहीं मार सकते थे.
अंतिम बात :
दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “मेघनाथ और इंद्रजीत नाम का रहस्य कहानी” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | हमने पूरी कोशिष की हे आपको सही जानकारी मिल सके| आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके |
हमे उम्मीद हे की आपको Meghnaad Ramayan Ramanand Sagar वाला यह आर्टिक्ल पसंद आया होगा | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है | ऐसी ही कहानी के बारेमे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे धन्यवाद ! 🙏