Shri Narayan Ashtakam (श्री नारायण अष्टकम्): According to Hindu Mythology chanting of Shri Narayan Ashtakam regularly is the most powerful way to please God Vishnu and get his blessing.
श्री नारायण अष्टकम : श्री नारायणाष्टकम् भगवान श्री विष्णु जी को समर्पित हैं ! श्री नारायणाष्टकम् स्वामी श्री कूरेश द्वारा रचियत हैं !
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श्री नारायण अष्टकम संस्कृत हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित – Narayan Ashtakam with Meaning
वात्सल्यादभयप्रदानसमयादार्तातिनिर्वापणा-
दौदार्यादघशोषणादगणितश्रेयःपदप्रापणात्।
सेव्यः श्रीपतिरेक एव जगतामेतेऽभवन्साक्षिणः
प्रह्लादश्च विभीषणश्च करिराट् पाञ्चाल्यहल्या ध्रुवः॥१॥
हिंदी में अर्थ : अति वात्सल्यमय होने के कारण, भयभीतों को अभयदान देने का स्वभाव होने के कारण, दुःखी पुरुषों का दुःख हरने के कारण, अति उदार और पापनाशक होने के कारण और अन्य अगणित कल्याणमय पदों (श्रेयों) की प्राप्ति करा देने के कारण सारे जगत् के लिये भगवान् लक्ष्मीपति ही सेवनीय हैं; क्योंकि प्रह्लाद, विभीषण, गजराज, द्रौपदी, अहल्या और ध्रुव-ये (क्रम से) इन कार्यों में साक्षी हैं॥१॥
प्रह्लादास्ति यदीश्वरो वद हरिः सर्वत्र मे दर्शय
स्तम्भे चैवमिति ब्रुवन्तमसुरं तत्राविरासीद्धरिः।
वक्षस्तस्य विदारयन्निजनखैर्वात्सल्यमापादय-
नार्तत्राणपरायणः स भगवान्नारायणो मे गतिः॥२॥
हिंदी में अर्थ : ‘अरे प्रह्लाद ! यदि तू कहता है कि ईश्वर सर्वत्र है तो मुझे खम्भे में दिखा’-दैत्य हिरण्यकशिपु के ऐसा कहते ही वहाँ भगवान् आविर्भूत हो गये और अपने नखों से उसके वक्षःस्थल को विदीर्ण करके अपना वात्सल्य प्रकट किया। ऐसे दीनरक्षक भगवान् नारायण ही मेरी एकमात्र गति हैं ॥२॥
श्रीरामात्र विभीषणोऽयमनघो रक्षोभयादागतः
सुग्रीवानय पालयैनमधुना पौलस्त्यमेवागतम्।
इत्युक्त्वाभयमस्य सर्वविदितं यो राघवो दत्तवा
नार्तत्राणपरायणः स भगवान्नारायणो मे गतिः॥३॥
हिंदी में अर्थ : ‘हे श्रीरामजी! यह निष्पाप विभीषण राक्षस रावण के भय से आया है—यह सुनते ही सुग्रीव! उस पुलस्त्य-ऋषि के पौत्र को तुरंत ले आओ और उसकी रक्षा करो’—ऐसा कहकर जैसा अभयदान श्रीरघुनाथजी ने उसे दिया वह सबको विदित ही है; वेही दीनरक्षक भगवान् नारायण मेरी एकमात्र गति हैं। ३॥
नक्रग्रस्तपदं समुद्धतकरं ब्रह्मादयो भो सुराः
पाल्यन्तामिति दीनवाक्यकरिणं देवेष्वशक्तेषु यः।
मा भैषीरिति यस्य नक्रहनने चक्रायुधः श्रीधर।
नार्तत्राणपरायणः स भगवान्नारायणो मे गतिः॥४॥
हिंदी में अर्थ : ग्राहद्वारा पाँव पकड़ लिये जाने पर सूंड़ उठाकर ‘हे ब्रह्मा आदि देवगण! मेरी रक्षा करो।’—इस प्रकार दीनवाणी से पुकारते हुए गजेन्द्र की रक्षा में देवताओं को असमर्थ देखकर ‘मत डर’ ऐसा कहकर जिन श्रीधर ने ग्राह का वध करने के लिये सुदर्शन चक्र उठा लिया, वे ही दीनरक्षक भगवान् नारायण मेरी एकमात्र गति हैं॥४॥
भो कृष्णाच्युत भो कृपालय हरे भो पाण्डवानां सखे
क्वासि क्वासि सुयोधनादपहृतां भो रक्ष मामातुराम्।
इत्युक्तोऽक्षयवस्त्रसंभृततर्नु योऽपालयद्रौपदी
नार्तत्राणपरायणः स भगवान्नारायणो मे गतिः॥५॥
हिंदी में अर्थ : ‘हे कृष्ण! हे अच्युत! हे कृपालो! हे हरे! हे पाण्डवसखे! तुम कहाँ हो ? कहाँ हो? दुर्योधन द्वारा लूटी गयी मुझ आतुरा की रक्षा करो! रक्षा करो !!’इस प्रकार प्रार्थना करने पर जिसने अक्षयवस्त्र से द्रौपदी का शरीर ढककर उसकी रक्षा की, वह दुःखियों का उद्धार करने में तत्पर भगवान् नारायण मेरी गति हैं॥ ५ ॥
यत्पादाब्जनखोदकं त्रिजगतां पापौघविध्वंसनं
यन्नामामृतपूरकं च पिबतां संसारसन्तारकम्।
पाषाणोऽपि यदङ्क्षिपद्मरजसा शापान्मुनेर्मोचित।
नार्तत्राणपरायणः स भगवान्नारायणो मे गतिः॥६॥
हिंदी में अर्थ : जिनके चरणकमलों के नखों की धोवन श्रीगंगाजी त्रिलोकी के पापसमूह को ध्वंस करने वाली हैं, जिनका नामामृतसमूह पान करने वालों को संसारसागर से पार करने वाला है तथा जिनके पादपद्मों की रज से पाषाण भी मुनिशाप से मुक्त हो गया, वे दीनरक्षक भगवान् नारायण ही मेरी एकमात्र गति हैं॥६॥
पित्रा भ्रातरमुत्तमासनगतं चौत्तानपादिभ्रुवो
दृष्ट्वा तत्सममारुरुक्षुरधृतो मात्रावमानं गतः।
यं गत्वा शरणं यदाप तपसा हेमाद्रिसिंहासन
नार्तत्राणपरायणः स भगवान्नारायणो मे गतिः॥७॥
हिंदी में अर्थ : अपने भाई को पिता के साथ उत्तम राजसिंहासन पर बैठा देख उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव ने जब स्वयं ही उस पर चढ़ना चाहा तो पिता ने उसे अंक में नहीं लिया और विमाता ने भी उसका अनादर किया, उस समय जिनकी शरण जाकर उसने तप के द्वारा सुमेरुगिरि के राजसिंहासन की प्राप्ति की, वे ही दीनरक्षक भगवान् नारायण मेरी एकमात्र गति हैं॥७॥
आर्ता विषण्णाः शिथिलाश्च भीता
घोरेषु च व्याधिषु वर्तमानाः।
सङ्कीर्त्य नारायणशब्दमात्रं
विमुक्तदुःखाः सुखिनो भवन्ति॥८॥
हिंदी में अर्थ : जो पीड़ित हैं, विषादयुक्त हैं, शिथिल (निराश) हैं, भयभीत हैं अथवा किसी भी घोर आपत्ति में पड़े हुए हैं, वे ‘नारायण’ शब्द के संकीर्तन मात्र से दुःख से मुक्त होकर सुखी हो जाते हैं॥ ८॥
इति श्रीकूरेशस्वामिविरचितं श्रीनारायणाष्टकं सम्पूर्णम्।
Shri Narayan Ashtakam Lyrics with English Meaning – श्री नारायण अष्टकम
Vatsalyadabhayapradanasamayadarttartinirvapanad-
Audaryyadaghasosanadaganitasreyah Padaprapanat ।
Sevyah Sripatireka Eva Jagatamete’bhavansaksinah
Prahladasca Vibhisanasca Karirat Pañcalyahalyadhruvah ॥ 1॥
Meaning in English : In Showering Of Love , In Offering Protection, In Removing Sufferings, In Showing Kindness To The Oppressed , In Being Worshipped By Innumerable Words By Devotees, No One Else Is Suitable To Our Service Except Narayana Who Is The Consort Of Lakshmi,And To Prove This The Witnesses Are Prahladha , Vibheeshana, The King Of Elephants, Draupadhi, Ahalya and Druva.
Prahladasti Yadisvaro Vada Harih Sarvatra Me Darsaya
Stambhe Caivamiti Bruvantamasuram Tatravirasiddharih ।
Vaksastasya Vidarayannijanakhairvatsalyamapadayan-
Narttatranaparayanah Sa Bhagavannarayano Me Gatih ॥ 2॥
Meaning in English : When The Great Sage Prahladha Was Asked ”Is It True That Hari Is Everywhere?” And When He Replied To That Asura That “He Is In The Pillar” , Oh Hari , Were You Not There, And Split Open His Chest By Your Nails And Showed Your Affection To Prahladha,
And So My Only Aim Is That God Narayana Who Is An Expert In Removing Pain From The Suffering Ones.
Sriramo’tra Vibhisano’yamanagho Raksobhayadagatah
Sugrivanaya Palayainamadhuna Paulastyamevagatam ।
Ityuktva’bhayamasya Sarvaviditam Yo Raghavo Dattavan-
Arttatranaparayanah Sa Bhagavannarayano Me Gatih ॥ 3॥
Meaning in English : When Sugreeva Told Ramachandra That The “The Faultless Sugreeva Has Come, Here Scared And He Should Be Protected” Did You Not Say “Even If It Is Ravana, Bring Him Here” And Did Not That Raghava Give Him Protection With Knowledge Of Every One,
And So My Only Aim Is That God Narayana Who Is An Expert In Removing Pain From The Suffering Ones.
Nakragrastapadam Samuddhrtakaram Brahmadayo Bhoh Sura
Raksantamiti Dinavakyakarinam Devesvasaktesu Yah ।
Ma Bhaisiriti Tasya Nakrahanane Cakrayudhah Sridharo-
Hyarttatranaparayanah Sa Bhagavannarayano Me Gatih ॥ 4॥
Meaning in English : When The Elephant Whose Legs Were Caught By The Crocodile , Pointed His Hands Upwards And, In A Weak Voice He Appealed , “Oh Brahma And Other Devas , Please Protect Me “ And When The Devas Were Not Able To Do It, Oh Sridhara Saying “Leave Out Your Fear” , Did You Not Kill The Crocodile With Your Divine Wheel, And So My Only Aim Is That God Narayana Who Is An Expert In Removing Pain From The Suffering Ones.
Bhoh Krsnacyutah Bhoh Krpalaya Hare Bhoh Panḍavanam Sakhe
Kvasi Kvasi Suyodhanadhyapahrtam Bho Raksa Mamaturam ।
Ityuktto’ksayavastrasambhrtatanuryo’palayaddraupadim-
Arttatranaparayanah Sa Bhagavannarayano Me Gatih ॥ 5॥
Meaning in English : When Draupadhi Shouted “Hey Krishna , Hey Temple Of Mercy , Hey Friend Of Pandavas, Where Are You? Where Are You?.Please Protect Me Who Am Suffering As I Am Being Troubled By Duryodhana,” Did You Not Protect Her By Providing Her With Unending Cloth, And So My Only Aim Is That God Narayana Who Is An Expert In Removing Pain From The Suffering Ones.
Yatpadabjanakhodakam Trijagatam Papaughavidhvamsanam
Yannamamrtapurakam Ca Pibatam Samsarasantarakam ।
Pasano’pi Yadanighrapankarajasa Sapanmunermocito
Hyarttatranaparayanah Sa Bhagavannarayano Me Gatih ॥ 6॥
Meaning in English : That Water Washing The Nail Of His Lotus Like Feet Became The Destroyer Of All Sins, The Drinking Of The Nectar Like Name Of His Is Capable Remove Sorrows Of Birth –Death Cycle, And The Dust From His Lotus Feet Redeemed Her Who Had Become Stone Due To Curse Of Gauthama, And So My Only Aim Is That God Narayana Who Is An Expert In Removing Pain From The Suffering Ones.
Pitra Bhrataramuttamasanagatam Hyauttanapadirdhruvo
Drstva Tatsamamaruruksuradhikam Matra’vamanam Gatah ।
Yam Gatva Saranam Yadapa Tapasa Hemadrisimhasanam
Hyarttatranaparayanah Sa Bhagavannarayano Me Gatih ॥ 7॥
Meaning in English : When Druva Saw His Younger Brother Sitting In The Throne Along With His Father, And When He Wanted To Be Treated In An Equal Manner, Not Being Taken By Father And Being Insulted By His Mother He Went And Surrendered To Him In Deep Penance , Did He Not Get A Seat On The Throne Of The Snow Filled Meru Mountain, And So My Only Aim Is That God Narayana Who Is An Expert In Removing Pain From The Suffering Ones.
Artta Visannah Sithilasca Bhita Ghoresu Ca Vyadhisu Vartamanah ।
Samkirtya Narayanasabdamatram Vimuktaduhkhah Sukhino Bhavanti ॥ 8॥
Meaning in English : Those Who Are Suffering, Who Are Sorrowing, Who Are Scared And Who Are Attacked By Great Diseases, Would Get Freedom From All Their Sorrows As Soon As They Chant The Word “Narayana”.
Iti Srikuresasvamiviracitam Narayan astakam Sampurnam ।