Shiv Tandav Stotram Lyrics : शिव ताण्डव स्तोत्र (संस्कृत:शिवताण्डवस्तोत्रम्) महान विद्वान एवं परम शिवभक्त लंकाधिपति रावण द्वारा विरचित भगवान शिव का स्तोत्र है।
Shiv Tandav Stotram Detail:
स्तोत्र का नाम | शिव तांडव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram) |
शिव तांडव स्तोत्रम् किसने लिखा ? | लंकाधिपति रावण |
संबंधित | भगवान शिव |
भाषा | संस्कृत और हिंदी |
सूत्र | पुराण |
Table of Contents
शिव तांडव स्तोत्रम् अर्थ सहित – Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi
जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् |
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, चकार चण्ड ताण्डवं तनो तुनः शिवः शिवम् ||१||
हिंदी में अर्थ : जिन शिव जी की सघन जटारूप वन से प्रवाहित हो गंगा जी की धारायं उनके कंठ को प्रक्षालित
कर होती हैं, जिनके गले में बडे एवं लम्बे सर्पों की मालाएं लटक रहीं हैं, तथा जो शिव जी
डम-डम डमरू बजा कर प्रचण्ड ताण्डव करते हैं, वे शिवजी हमारा कल्यान करें |
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी, विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि |
धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ||२||
हिंदी में अर्थ : जिन शिव जी के जटाओं में अतिवेग से विलास पुर्वक भ्रमण कर रही देवी गंगा की लहरे उनके
शिश पर लहरा रहीं हैं, जिनके मस्तक पर अग्नि की प्रचण्ड ज्वालायें धधक-धधक करके प्रज्वलित
हो रहीं हैं, उन बाल चंद्रमा से विभूषित शिवजी में मेरा अंनुराग प्रतिक्षण बढता रहे।
धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस् फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे |
कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ||३||
हिंदी में अर्थ : जो पर्वतराजसुता(पार्वती जी) केअ विलासमय रमणिय कटाक्षों में परम आनन्दित चित्त रहते हैं,
जिनके मस्तक में सम्पूर्ण सृष्टि एवं प्राणीगण वास करते हैं, तथा जिनके कृपादृष्टि मात्र से
भक्तों की समस्त विपत्तियां दूर हो जाती हैं, ऐसे दिगम्बर (आकाश को वस्त्र सामान
धारण करने वाले) शिवजी की आराधना से मेरा चित्त सर्वदा आन्दित रहे।
जटा भुजङ्ग पिङ्गलस् फुरत्फणा मणिप्रभा कदम्ब कुङ्कुमद्रवप् रलिप्तदिग्व धूमुखे |
मदान्ध सिन्धुरस् फुरत् त्वगुत्तरीयमे दुरे मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ||४||
हिंदी में अर्थ : मैं उन शिवजी की भक्ति में आन्दित रहूँ जो सभी प्राणियों की के आधार एवं रक्षक हैं, जिनके
जाटाओं में लिपटे सर्पों के फण की मणियों के प्रकाश पीले वर्ण प्रभा-समुहरूपकेसर के
कातिं से दिशाओं को प्रकाशित करते हैं और जो गजचर्म से विभुषित हैं।
सहस्र लोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर प्रसून धूलिधोरणी विधूस राङ्घ्रि पीठभूः |
भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः ||५||
हिंदी में अर्थ : जिन शिव जी का चरण इन्द्र-विष्णु आदि देवताओं के मस्तक के पुष्पों के धूल से रंजित हैं
(जिन्हे देवतागण अपने सर के पुष्प अर्पन करते हैं), जिनकी जटा पर लाल सर्प विराजमान है,
वो चन्द्रशेखर हमें चिरकाल के लिए सम्पदा दें।
ललाट चत्वरज्वलद् धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्प नायकम् |
सुधा मयूखले खया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदे शिरोज टालमस्तु नः ||६||
हिंदी में अर्थ : जिन शिव जी ने इन्द्रादि देवताओं का गर्व दहन करते हुए, कामदेव को अपने विशाल मस्तक
की अग्नि ज्वाला से भस्म कर दिया, तथा जो सभि देवों द्वारा पुज्य हैं, तथा चन्द्रमा
और गंगा द्वारा सुशोभित हैं, वे मुझे सिद्दी प्रदान करें।
कराल भाल पट्टिका धगद् धगद् धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुती कृतप्रचण्ड पञ्चसायके |
धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम |||७||
हिंदी में अर्थ : जिनके मस्तक से धक-धक करती प्रचण्ड ज्वाला ने कामदेव को भस्म कर दिया तथा जो
शिव पार्वती जी के स्तन के अग्र भाग पर चित्रकारी करने में अति चतुर है
( यहाँ पार्वती प्रकृति हैं, तथा चित्रकारी सृजन है), उन शिव जी में मेरी प्रीति अटल हो।
नवीन मेघ मण्डली निरुद् धदुर् धरस्फुरत्- कुहू निशीथि नीतमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः |
निलिम्प निर्झरी धरस् तनोतु कृत्ति सिन्धुरः कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद् धुरंधरः ||८||
हिंदी में अर्थ : जिनका कण्ठ नवीन मेंघों की घटाओं से परिपूर्ण आमवस्या की रात्रि के सामान काला है,
जो कि गज-चर्म, गंगा एवं बाल-चन्द्र द्वारा शोभायमान हैं तथा जो कि जगत का बोझ
धारण करने वाले हैं, वे शिव जी हमे सभि प्रकार की सम्पनता प्रदान करें।
प्रफुल्ल नीलपङ्कज प्रपञ्च कालिम प्रभा- वलम्बि कण्ठकन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम् |
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छि दांध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे ||९||
हिंदी में अर्थ : जिनका कण्ठ और कन्धा पूर्ण खिले हुए नीलकमल की फैली हुई सुन्दर श्याम प्रभा से विभुषित है,
जो कामदेव और त्रिपुरासुर के विनाशक, संसार के दु:खो को काटने वाले, दक्षयज्ञ विनाशक,
गजासुर एवं अन्धकासुर के संहारक हैं तथा जो मृत्यू को वश में करने वाले हैं,
मैं उन शिव जी को भजता हूँ अखर्वसर्व-
अखर्व सर्व मङ्गला कला कदंब मञ्जरी रस प्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् |
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्त कान्ध कान्त कं तमन्त कान्त कं भजे ||१०||
हिंदी में अर्थ : जो कल्यानमय, अविनाशि, समस्त कलाओं के रस का अस्वादन करने वाले हैं, जो कामदेव को
भस्म करने वाले हैं, त्रिपुरासुर, गजासुर, अन्धकासुर के सहांरक, दक्षयज्ञविध्वसंक तथा स्वयं
यमराज के लिए भी यमस्वरूप हैं, मैं उन शिव जी को भजता हूँ।
जयत् वदभ्र विभ्रम भ्रमद् भुजङ्ग मश्वस – द्विनिर्ग मत् क्रमस्फुरत् कराल भाल हव्यवाट् |
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ||११||
हिंदी में अर्थ : अतयंत वेग से भ्रमण कर रहे सर्पों के फूफकार से क्रमश: ललाट में बढी हूई प्रचंण अग्नि के
मध्य मृदंग की मंगलकारी उच्च धिम-धिम की ध्वनि के साथ ताण्डव नृत्य में लीन
शिव जी सर्व प्रकार सुशोभित हो रहे हैं।
स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्- – गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः |
तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समप्रवृत्तिकः ( समं प्रवर्तयन्मनः) कदा सदाशिवं भजे ||१२||
हिंदी में अर्थ : कठोर पत्थर एवं कोमल शय्या, सर्प एवं मोतियों की मालाओं, बहुमूल्य रत्न एवं
मिट्टी के टूकडों,शत्रू एवं मित्रों, राजाओं तथा प्रजाओं, तिनकों तथा
कमलों पर सामान दृष्टि रखने वाले शिव को मैं भजता हूँ।
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् |
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ||१३||
हिंदी में अर्थ : कब मैं गंगा जी के कछारगुञ में निवास करता हुआ, निष्कपट हो, सिर पर अंजली धारण कर
चंचल नेत्रों तथा ललाट वाले शिव जी का मंत्रोच्चार करते हुए अक्षय सुख को प्राप्त करूंगा।
इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् |
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ||१४||
हिंदी में अर्थ : इस सर्वोत्तम शिवतांडव स्तोत्र का नित्य प्रति मुक्त कंठ से पाठ करने से भरपूर सन्तति-सुख,
हरि एवं गुरु के प्रति भक्ति अविचल रहती है, दूसरी गति नहीं होती तथा हमेशा
शिव जी की शरण प्राप्त होती है.
पूजा वसान समये दशवक्त्र गीतं यः शंभु पूजन परं पठति प्रदोषे |
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्र तुरङ्ग युक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः ||१५||
हिंदी में अर्थ : प्रात: शिवपुजन के अंत में इस रावणकृत शिवताण्डवस्तोत्र के गान से लक्ष्मी स्थिर रहती हैं
तथा भक्त रथ, गज, घोडा आदि सम्पदा से सर्वदा युक्त रहता है।
इति श्रीरावण-कृतम् शिव-ताण्डव-स्तोत्रम् सम्पूर्णम्
Shiv Tandav Stotram Lyrics With Meaning – शिव तांडव स्तोत्रम् अर्थ सहित
Jatatavigalajjala pravahapavitasthale
Galeavalambya lambitam bhujangatungamalikam
Damad damad damaddama ninadavadamarvayam
Chakara chandtandavam tanotu nah shivah shivam
Meaning in English : With the lofty serpent as garland around his neck, his ḍamaru sounding ḍamaḍ-ḍamaḍ, Śiva did the fierce tāṇḍava dance on the ground consecrated by the water flowing from his thick, forest-like hair locks. May he shower prosperity on us.
Jata kata hasambhrama bhramanilimpanirjhari
Vilolavichivalarai virajamanamurdhani
Dhagadhagadhagajjva lalalata pattapavake
Kishora chandrashekhare ratih pratikshanam mama
Meaning in English : Every moment, I am interested in Śiva, in the deep well of whose hair locks Ganga moves in rows of waves, whose forehead has a flaming fire, and who has a crescent moon on his head.
Dharadharendrana ndinivilasabandhubandhura
Sphuradigantasantati pramodamanamanase
Krupakatakshadhorani nirudhadurdharapadi
Kvachidigambare manovinodametuvastuni
Meaning in English : May my mind seek happiness in Śiva, who is the sportive companion of Pārvatī, in whose mind the remote expanses proliferate, whose compassionate look expels difficult obstacles, and who is all-pervasive.
Jata bhujan gapingala sphuratphanamaniprabha
Kadambakunkuma dravapralipta digvadhumukhe
Madandha sindhu rasphuratvagutariyamedure
Mano vinodamadbhutam bibhartu bhutabhartari
Meaning in English : May I seek wonderful pleasure in Śiva, who is the supporter of all beings, who smears colour in all directions through the lustre of the gem on the snake creeping among his hair locks, who wears a thick upper garment of an intoxicated elephant’s skin.
Sahasra lochana prabhritya sheshalekhashekhara
Prasuna dhulidhorani vidhusaranghripithabhuh
Bhujangaraja malaya nibaddhajatajutaka
Shriyai chiraya jayatam chakora bandhushekharah
Meaning in English : His footstool is greyed by the incessant flow of dust from the flowers from the heads of the gods lined up in front of him. His hair locks are tied up with the king of snakes. He has the kind of Cakora bird (the moon) on his head. May Śiva give us lasting prosperity.
Lalata chatvarajvaladhanajnjayasphulingabha
nipitapajnchasayakam namannilimpanayakam
Sudha mayukha lekhaya virajamanashekharam
Maha kapali sampade shirojatalamastunah
Meaning in English : May we get the wealth of siddhis from his locks of hair. Kāmadeva was devoured by the sparks of the fire flaming on his forehead. All the celestial leaders bow down to him. He is beautiful with a crescent moon on his head.
Karala bhala pattikadhagaddhagaddhagajjvala
Ddhanajnjaya hutikruta prachandapajnchasayake
Dharadharendra nandini kuchagrachitrapatraka
Prakalpanaikashilpini trilochane ratirmama
Meaning in English : My interest is in Siva, who has three eyes, who has offered Kāmadeva into the fire flaming on his forehead, who is the sole artist of drawing decorative lines on the tips of Pārvatī’s breasts.
navina megha mandali niruddhadurdharasphurat
Kuhu nishithinitamah prabandhabaddhakandharah
nilimpanirjhari dharastanotu krutti sindhurah
Kalanidhanabandhurah shriyam jagaddhurandharah
Meaning in English : The throb of the great tāṇḍava has restrained the the new clouds has bound the darkness of the night of the new moon around His neck, O the bearer of the river Ganges, O the wearer of the elephant hide; please extend the auspiciousness and great welfare (to us).
Praphulla nila pankaja prapajnchakalimchatha
Vdambi kanthakandali raruchi prabaddhakandharam
Smarachchidam purachchhidam bhavachchidam makhachchidam
Gajachchidandhakachidam tamamtakachchidam bhaje
Meaning in English : Whose neck has the dark luster of the universe with the glory of the fully-bloomed blue lotuses, one who destroyed Kāmadeva and Tripurāsura, the one who ends worldly existence, and the one who brought an end to the sacrifice (of Dakṣa), Gajāsura, and Andhaka and overpowered Yama; I worship that Śiva.
Akharvagarvasarvamangala kalakadambamajnjari
Rasapravaha madhuri vijrumbhana madhuvratam
Smarantakam purantakam bhavantakam makhantakam
Gajantakandhakantakam tamantakantakam bhaje
Meaning in English : Who has bees flying all over because of the sweet nectar of auspicious Kadamba flowers, one who destroyed Kāmadeva and Tripurāsura, the one who ends worldly existence, and the one who brought an end to the sacrifice (of Dakṣa), Gajāsura, and Andhaka and overpowered Yama; I worship that Śiva.
Jayatvadabhravibhrama bhramadbhujangamasafur
Dhigdhigdhi nirgamatkarala bhaal havyavat
Dhimiddhimiddhimidhva nanmrudangatungamangala
Dhvanikramapravartita prachanda tandavah shivah
Meaning in English : His Taṇḍava is in tune with auspicious sounds of mṛdaṅga, who has fire on his forehead, the fire that is spreading out because of the breath of the snake wandering in whirling motion in the sky.
Drushadvichitratalpayor bhujanga mauktikasrajor
Garishtharatnaloshthayoh suhrudvipakshapakshayoh
Trushnaravindachakshushoh prajamahimahendrayoh
Sama pravartayanmanah kada sadashivam bhaje
Meaning in English : When will I worship Sadāśiva with equal vision towards a snake and a garland, a valuable gem and a lump of dirt, friends and enemies, eyes like a blade of grass and those like a lotus, the subjects and an emperor?
Kada nilimpanirjhari nikujnjakotare vasanh
Vimuktadurmatih sada shirah sthamajnjalim vahanh
Vimuktalolalochano lalamabhalalagnakah
Shiveti mantramuchcharan sada sukhi bhavamyaham
Meaning in English : When will I be happy, living in a cave near Ganga, carrying the folded hands on my head, with my bad thinking washed away and free from my disoriented eye, and uttering Śiva’s mantra and applying his sacred mark on the forehead?
Imam hi nityameva muktamuttamottamam stavam
Pathansmaran bruvannaro vishuddhimeti santatam
Hare gurau subhaktimashu yati nanyatha gatim
Vimohanam hi dehinam sushankarasya chintanam
Meaning in English : Whoever reads, remembers and says this best stotra regularly as it is said here, gets purified forever and obtains devotion in the great guru Śiva. For this devotion, there is no other way. Just the mere thought of Śiva indeed removes the delusion.
शिव तांडव स्तोत्रम् के लाभ – Shiv Tandav Stotram Benefits
- इस शिव तांडव स्तोत्रम् का पाठ करने से भक्त को मन की शांति मिलती है और वह व्यक्ति सभी बुराइयों और बुरे विचारों से दूर रहता है।
- शिव तांडव स्तोत्रम्का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हे और आत्मविश्वास बढ़ता हे
- इस शिव तांडव स्तोत्रम्का पाठ करने से कठिन से कठिन समय का सामना करके हर समस्या से जीता जा सकता है।
- जो कोई भी इस स्तोत्र का पाठ आपको सभी समस्याओं से मुक्ति देने में मदद करता हे
- इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति का डर भी दूर हो जाता हे
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अंतिम बात
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