Vaman Avatar Lord Vishnu : भारत में अधिकतर हर त्यौहार को किसी ना किसी धार्मिक नजरिए से जोड़ कर देखा जाता है. यहां हर त्यौहार की एक धार्मिक कहानी होती है और कहीं ना कहीं यही वह वजह है कि भारत में आज भी प्राचीन त्यौहारों को उमंग के साथ मनाए जाने का रिवाज जारी है. भारत के ऐसे ही त्यौहारों में से एक है ओणम.
अवतार | भगवान विष्णु के पाँचवें अवतार |
पिता | महर्षि कश्यप |
माता | अदिति |
शैली | आध्यात्मिक कहानी |
सूत्र | पुराण |
शत्रु-संहार | दैत्यराज बलि |
मूल भाषा | हिंदी |
जयंती | भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की द्वादशी |
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भगवान विष्णु का वामन अवतार – राजा बलि की कहानी | Vaman Avatar Lord Vishnu
दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाने वाला ओणम का त्यौहार केरल राज्य में सबसे अधिक हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं.
यह पर्व फसलों की कटाई के बाद मनाया जाता हैं लेकिन इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक कहानी भी हैं.
पुराने समय में दक्षिण भारत में राजाबली नाम का असुर हुआ करता था.
असुर होने की वजह से यह राजा नीतिशास्त्र और प्रशासनिक कार्य में बहुत कुशल था. राजा बली अपने दादा प्रह्राद के परामर्श के कारण राजा बन पाया था. पर वह बहुत उदार स्वाभाव का था. राज्य की सारी प्रजा उसके कार्य से खुश रहती थी. भगवान् का सम्मान करने के साथ राजाबली बहुत महत्वाकांक्षी राजा था. वह चाहता था कि उसका राज समस्त लोकों पर हो.
राजा बलि की कथा | देखिये कियो लेना पड़ा था भगवान विष्णु को वामन अवतार
अपनी इस महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए राजाबली ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया, जिससे वह परलोक का राजा बन गया इसी तरह वह ब्रह्माण्ड के दुसरे लोक यानि पृथ्वी और पाताल में भी अपना अधिकार कर लिया. तीनो लोको पर कब्ज़ा करने के बाद उसने अश्वमेध यज्ञ कराना शुरू किया ताकि वह ब्रह्मांड का हर एक कोना अपने अधिकार में ले सके.
एक असुर के हाथों पराजित हो कर देवता परेशान हो गए और परलोक वापस पाने के लिए सभी देवतागण भगवान विष्णु के पास जाकर उन्हें पूरी बात बताई. देवताओं की यह प्रार्थना सुनकर भगवान् देवताओं की सहायता करने के लिए तैयार हो गए और एक वामन का अवतार धारण कर के राजा बली के पास गए. भगवान् यह बात जानते थे कि राजा बली अपनी उदारता के लिए प्रसिद्ध हैं और इसी बात को ध्यान में रखकर भगवान् विष्णु एक वामन ब्राहमण के रूप में राजाबली से तीन क़दम ज़मीन मांगी.
उदार महाबली ने तुरंत वामन ब्राह्मण की इस बात को स्वीकार कर लिया.
इसके बाद वामन का आकार एकाएक बढ़ता ही चला गए और भगवान् ने एक कदम से पूरी पृथ्वी और दुसरे कदम से परलोक नाप लिया.
अब मैं तीसरा कदम कहां रखू राजा बलि – भगवान् विष्णु का वामनावतार
इसके बाद अपने तीसरे कदम के लिए जब भगवान ने स्थान माँगा तब कोई स्थान न होने के कारण वचनबध महाबली ने अपना मस्तक आगे कर दिया. भगवान् के पैर रखते ही राजा बली पाताला लोक में समा गया. भगवान् विष्णु राजबली की इस धर्म निष्ठा से प्रसन्न होकर उससे एक वरदान मांगने की बात कही तब राजाबली ने कहा कि पुरे साल में आप मुझे एक बार अपने राज्य जाने की अनुमति दे ताकि मैं अपनी प्रजा की खुशहाली और संपन्नता सुनिश्चित कर सकू.
भगवान् विष्णु ने राजा बली की यह बात स्वीकार कर ली और अब ओणम के रूप में हर साल राजा बली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं.
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